उत्तराखंड की देवभूमि में आज सुबह (4 मई 2025) ठीक 6 बजे श्रद्धालुओं की वर्षों पुरानी आस्था का प्रतीक श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। कपाट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी और ‘जय बद्री विशाल’ के जयघोषों से पूरा बद्रीनाथ क्षेत्र गूंज उठा।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पावन अवसर पर श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे और दर्शन कर देशवासियों की खुशहाली की कामना की।
पांडुकेश्वर से रवाना हुई देव डोलियां, पहुंची बदरीधाम
शीतकालीन प्रवास के बाद भगवान बदरी विशाल की डोलियों को लेकर विशेष देवभारा यात्रा शनिवार को पांडुकेश्वर के योगध्यान बद्री मंदिर से रवाना हुई। इस यात्रा की अगुवाई स्वयं रावल अमरनाथ नंबूदरी ने की। उनके साथ उद्धव जी, कुबेर जी, गरुड़ डोली और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी भी थी।
हनुमान चट्टी में विशेष पूजा
देवभारा यात्रा के मार्ग में रावल जी ने हनुमान चट्टी पर श्री हनुमान जी की विधिवत पूजा की। फिर यात्रा बामणी गांव होते हुए लीलाधुंगी पहुंची, जहाँ भगवान नारायण की जन्मस्थली पर विशेष वैदिक विधि से पूजा की गई।
बदरीधाम में स्वागत, जयकारों से गूंज उठी वादी
जैसे ही देवभारा यात्रा मंदिर परिसर में पहुंची, श्रद्धालुओं ने जोरदार जयकारों और भक्ति गीतों से यात्रा का स्वागत किया। गढ़वाल स्काउट्स के बैंड ने ‘जय बदरी-जय केदार’ की धुन बजाकर वातावरण को भक्तिरस में रंग दिया।
अखंड ज्योति के दर्शन भी शुरू
कपाट खुलने के साथ ही श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जल रही अखंड ज्योति के दर्शन भी होने लगे। मंदिर के भीतर उद्धव जी को रावल निवास स्थित पूजा स्थल में विराजित किया गया, वहीं कुबेर जी को बामणी गांव स्थित मां नंदा देवी मंदिर में रात्रि विश्राम हेतु रखा गया।
परंपरा अनुसार पहली पूजा और विशेष प्रसाद
गर्भगृह में रावल जी के प्रवेश के बाद मां महालक्ष्मी की पूजा की गई और उन्हें महालक्ष्मी मंदिर में यथास्थान विराजमान कराया गया। इसके बाद उद्धव जी और कुबेर जी को बदरीनाथ मंदिर में विधिवत स्थापित किया गया।
सबसे पहले महाभिषेक पूजा और विशेष अभिषेक आरंभ हुए। इस अवसर पर भगवान को शीतकाल में ओढ़ाई गई घृत-कंबल श्रद्धालुओं को विशेष प्रसाद के रूप में वितरित की गई। तत्पश्चात भगवान बदरी विशाल का स्वर्णाभूषणों से दिव्य श्रृंगार किया गया।
प्रातः काल का विस्तृत कार्यक्रम
4:00 AM: मंदिर समिति के कर्मचारी मंदिर परिक्रमा में उपस्थित हुए
4:30 AM: श्री कुबेर जी को दक्षिण द्वार से परिक्रमा में लाया गया
5:00 AM: विशिष्ट अतिथियों, रावल जी, धर्माधिकारी व अन्य प्रतिनिधियों की उपस्थिति
5:30 AM: कपाट पूजन की विधि शुरू हुई
6:00 AM: श्री बदरीनाथ धाम के कपाट विधिवत श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए