हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को आने वाला व्रत 'प्रदोष व्रत' कहलाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आता है। वैशाख माह का दूसरा प्रदोष व्रत विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह व्रत धर्म, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना से किया जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। तो जानिए सही तारीख और शुभ मुहूर्त।
कब है माह का दूसरा प्रदोष व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 10 मई को 5 बजकर 29 मिनट पर होगा। ऐसे में वैशाख माह का दूसरा प्रदोष व्रत 9 मई को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन होने की वजह से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा।
व्रत विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। दिनभर व्रत रखें और शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का जलाभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल और शुद्ध घी से भगवान शिव की पूजा करें। फिर शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें। अंत में आरती करके प्रसाद वितरित करें।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के दूसरे प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 1 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को पूजा करने के लिए कुल 2 घंटे 6 मिनट का समय मिलेगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना का अत्यंत शुभ अवसर होता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और शाम के समय प्रदोष काल में शिव पूजन करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि आती है। यह व्रत संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी विशेष माना जाता है।