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यूपी संस्कृति विभाग द्वारा "सृजन" कार्यशालाओं का आयोजन, लोक कलाओं को मिलेगा संरक्षण

संस्‍कृति विभाग, उ0प्र0 द्वारा संस्‍कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सांस्‍कृतिक परम्‍पराओं को पुर्नस्‍थापित करने एवं आगामी पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्‍य से प्रदेश के 75 जनपदों में कला अभिरूचि कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।

Rajat Mishra
  • May 3 2025 7:38PM

इनपुट- रजत के. मिश्र, लखनऊ, twitter- rajatkmishra1

 
संस्‍कृति विभाग, उ0प्र0 द्वारा संस्‍कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सांस्‍कृतिक परम्‍पराओं को पुर्नस्‍थापित करने एवं आगामी पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्‍य से प्रदेश के 75 जनपदों में कला अभिरूचि कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यशालाओं में विलुप्‍त हो रहे लोकनृत्‍य, जनजातीय नृत्‍य, लोकवाद्य, लोक कलाओं, लोक परम्‍पराओं, नाट्य विधाओं के सृजन हेतु प्रदेश के विद्यालयों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। संस्‍कृति विभाग द्वारा संस्‍कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रथम बार प्रदेश के समस्‍त जनपदों में इन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। 
 
कार्यशालाओं में छात्र-छात्राओं एवं युवावर्ग द्वारा बढ़-चढ़कर भाग लिया जा रहा है। प्रथम चरण में यह कार्यशालायें जनपदों में की जा रही हैं। द्वितीय चरण में संस्‍कृति के प्रचार-प्रसार एवं उन्‍नयन हेतु तहसील स्‍तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। इन कार्यशालाओं का आयोजन संस्‍कृति विभाग के स्‍वायत्‍तशासी संस्‍थाओं यथा- उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, उ0प्र0 लोक कला एवं जनजाति संस्‍कृति संस्‍थान, उ0प्र0 राज्‍य ललित कला अकादमी, बिरजू महाराज कथक संस्‍थान, अन्‍तर्राष्‍ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्‍थान, अन्‍तर्राष्‍ट्रीय बौद्ध शोध संस्‍थान एवं भारतेन्‍दु नाट्य अकादमी द्वारा किया जा रहा है।
 
इन कार्यशालाओं में गायन, वादन, शास्‍त्रीय एवं उपशास्‍त्रीय नृत्‍य, नाटक, कठपुतली, प्रस्‍तुतिपरक नाट्य, शास्‍त्रीय एवं उपशास्‍त्रीय गायन के साथ-साथ रामचरित मानस एवं रामायण पर आधारित चित्रकला, मुखसज्‍जा, मुखौटा, रामलीला, क्‍ले मॉडलिंग, रामचरितमानस वाचन, वेदगान एवं वेद सामान्‍य ज्ञान जैसे विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशालाओं में अन्‍तर्राष्‍ट्रीय बौद्ध शोध संस्‍थान, लखनऊ द्वारा बौद्ध धर्म दर्शन संस्‍कृति शिक्षा एवं पालि भाषा के संरक्षण, प्रचार-प्रसार तथा विपश्‍यना ध्‍यान साधना पद्धति द्वारा जनसामान्‍य में सकारात्‍मक परिवर्तन लाने के उद्देश्‍य से बौद्ध संस्‍कृति के महत्‍वपूर्ण सिद्धान्‍तों, आधारभूत मान्‍यताओं, मानवीय मूल्‍यों तथा कला अवशेषों को संरक्षित करने से सम्‍बन्धित जानकारी प्रदान की जायेगी। बौद्ध संस्‍कृति एवं पालि भाषा शिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन शैक्षणिक, सांस्‍कृतिक और आध्‍यात्मिक क्षेत्रों में दीर्घ कालीन लाभ प्रदान करेगा। संस्‍थान द्वारा बौद्ध संस्‍कृति शिक्षा, पालि भाषा के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार हेतु छात्र-छात्राओं एवं युवाओं में जातक कथाओं से सम्‍बन्धित बुकलेट भी वितरित की जायेंगी।

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