मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यानी शनिवार को आयोजित राजस्व विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में विभागीय कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी, तकनीक-संपन्न और जनोन्मुखी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रदेश में भूमि विवादों का शीघ्र समाधान और लैंड रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण निवेश और सुशासन की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि अविवादित वरासत के मामलों का निस्तारण 15 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि भूमि से जुड़े मामलों में अनावश्यक विवादों की संख्या भी घटेगी।
उन्होंने राजस्व परिषद पोर्टल की रीडिजाइनिंग की आवश्यकता जताते हुए एक एकीकृत डैशबोर्ड विकसित करने का आदेश दिया, जो लेखपाल से लेकर आयुक्त स्तर तक सभी कार्यों की निगरानी को सरल और प्रभावी बनाएगा। इसके माध्यम से नागरिकों को भी अपने मामलों की जानकारी सरलता से प्राप्त हो सकेगी।
मुख्यमंत्री योगी ने चकबंदी विवादों में तकनीकी हस्तक्षेप और अधिक पारदर्शिता लाने पर भी बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि भू-उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया, जहां विवाद न हो, वहां बिना अनावश्यक देरी के सरल और स्पष्ट रूप में संपन्न होनी चाहिए। साथ ही, नामांतरण वादों को पूर्णतः ऑटोमेट करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे आमजन को समयबद्ध न्याय मिल सकेगा और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।
प्राकृतिक आपदाओं के समय राजस्व विभाग की तत्परता की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष 3.5 लाख से अधिक प्रभावित परिवारों को DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से त्वरित आर्थिक सहायता दी गई। इस प्रयास को जारी रखते हुए उन्होंने कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के सभी लंबित मामलों का निस्तारण 10 कार्यदिवसों में पूर्ण करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इन निर्देशों से स्पष्ट है कि उनकी सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता, तकनीकी सक्षमता और जनकल्याण को लेकर गंभीर है। आने वाले समय में इन उपायों से न केवल राजस्व विभाग की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी, बल्कि आम नागरिकों को भी राहत और विश्वास का अनुभव होगा।