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जब हर देशभक्त जब खड़ा था रानी पद्मावती के साथ तब एक पार्टी थी जिसने ख़िलजी को बताया था "महान".. जानिए कौन थे वो ?

ख़िलजी की तारीफों के पुल बांध डाला था उस पार्टी ने तब.

Rahul Pandey
  • Aug 26 2020 8:49AM
यह बात उस समय की थी जब रानी पद्मिनी के सम्मान में पूरा हिंदू समाज एक स्वर में एकजुट होकर के आवाज उठा रहा था। हिंदुओं के आक्रोश को देखते हुए और तुष्टीकरण में लिप्त रहने वाली पार्टियां भी उस समय कुछ भी बोलने से बच रही थी। उस समय यह तुलना करनी थी कि समाज के लिए प्रेरणा व मार्गदर्शन का विषय कौन है तो लगभग सभी लोग एक सुर से एक पक्ष में रानी पद्मिनी के साथ खड़े थे.. 

लेकिन उस समय सब रानी पद्मिनी के साथ नहीं थे। कुछ ऐसे भी थे जो दरिंदे , दुराचारी अलाउद्दीन खिलजी के बगल सीना तान के खड़े हो गए थे और उन्हीं में से एक पार्टी का नाम है वामपंथी अर्थात कम्युनिस्ट पार्टी.. यह वही कम्युनिस्ट पार्टी है जो अमूमन धर्मनिरपेक्षता की तो पैरोकारी तो करती है लेकिन लगभग हर बार इतिहास गवाह है कि वह खड़ी हुई है तो हिंदुओं से जुड़े देवी-देवताओं ही नहीं बल्कि महापुरुषों के विरोध में। यह बाबरी का समर्थन तो करती है लेकिन श्री राम मंदिर इसके नजरिया कुछ और ही दिखते हैं।

यद्द्पि उस समय वामपंथी अर्थात कम्युनिस्ट पार्टी का ये बयान अचंभित करने वाला नहीं था बल्कि सम्भावित ही है क्योंकि ये वही इतिहास है जो इनके द्वारा ही लिखा गया है .. इन्होंने ही ख़िलजी के सम्मान में कसीदे गढ़ डाले हैं लेकिन रानी पद्मिनी के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए थे.. यदि राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में जनाधार धीरे-धीरे खो रही वामपंथी पार्टी का उस समय खिलजी के इस प्यार का समर्थन लगभग ना के बराबर लोगों ने किया था। समर्थन किया था तो सिर्फ खिलजी की ही मानसिकता वाले कुछ लोगों ने।

साजिश में लिखे गए इतिहास  का  इन्हीं के द्वारा फैलाया गया भ्रम का अंधेरा जब छंटने लगा तो ये निकल आये थे अपने ठिकानों से बाहर अपने लिखे नकली इतिहास की रक्षा करने .. दत्त सच्चाई इतिहास क्या है अभिषेक बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में प्रमाणों के साथ और तथ्यों के साथ रानी पद्मावती के इतिहास को स्वीकार किया जाता है।

असल मे उस क्रूर, कामुक, जल्लाद , लुटेरे अलाउद्दीन खिलजी के सम्मान में वामपंथ विचारधारा एक साथ आई थी और रानी पद्मिनी को जौहर पर मजबूर करने वाले इस हत्यारे के महिमाण्डन में जुट गए थे .. कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव इकबाल ने उस समय कहा था कि पद्मावती पर हिन्दू संगठनों द्वारा खड़ा किया गया विवाद न केवल भंसाली के साथ अत्याचार है अपितु अलाउद्दीन खिलजी जैसे महान शासक के साथ भी न्यायोचित नहीं है ..

अलाउद्दीन खिलजी की क्रूरता व कामुकता को भुलाते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के इस राष्ट्रीय नेता ने अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल मे ज्वार, मक्का   ,उडद आदि के दामो की चर्चा की और उसको बाज़ार के महान व्यवस्थापक की संज्ञा देते हुए उसका जमकर महिमाण्डन किया ..उन्होंने अपनी पार्टी के हवाले से बयान दिया और परोक्ष इशारा करते हुए अलाउद्दीन का सम्मान बचाने का एलान भी किया जिसके लिए उनकी पार्टी पहल करेगी ..

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