पहलगाम में निर्दोषों के नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक सख्त कदम उठाकर बता दिया कि अब आतंक को पनाह देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। केंद्र सरकार ने अटारी इंटरनेशनल बॉर्डर को 1 मई से बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन इसी बीच भारत ने एक बार फिर मानवता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी नागरिकों को अपने देश लौटने की छूट दे दी है।
जहां भारत ने फंसे हुए पाक नागरिकों के लिए राहत का रास्ता खोला, वहीं पाकिस्तान ने अपनी कायरता दिखाते हुए वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया है और अपने ही नागरिकों को सीमा में घुसने नहीं दे रहा। 1 मई की सुबह से अब तक एक भी पाकिस्तानी को अपने ही देश में दाखिल होने की इजाजत नहीं दी गई।
भारत की मानवता की मिसाल
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो पाकिस्तानी नागरिक वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ भारत में मौजूद हैं, वे अगले आदेश तक अपने वतन लौट सकते हैं। भारत का यह निर्णय न केवल कूटनीतिक सूझबूझ का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत आतंकवादियों से सख्ती से निपटेगा लेकिन आम नागरिकों के प्रति अपनी मर्यादा नहीं छोड़ेगा।
आंकड़ों में देखें पाक नागरिकों की वापसी
अब तक भारत की ओर से कुल 929 पाकिस्तानी नागरिकों को वापसी की अनुमति दी जा चुकी है:
24 अप्रैल: 28 नागरिक
25 अप्रैल: 191 नागरिक
26 अप्रैल: 81 नागरिक
27 अप्रैल: 237 नागरिक
28 अप्रैल: 145 नागरिक
29 अप्रैल: 104 नागरिक
30 अप्रैल: 140 नागरिक
भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान में मचा हड़कंप
भारत द्वारा 30 अप्रैल को पाकिस्तानी विमानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद करने के फैसले ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। अब पाकिस्तान न तो भारतीय वायु क्षेत्र से गुजर सकता है और न ही सीधी उड़ानों की बात कर सकता है। पाकिस्तानी नेता अब अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के आगे हाथ फैलाए खड़े हैं, लेकिन भारत अपने फैसलों से पीछे हटने को तैयार नहीं।
भारत ने एक झटके में तोड़ीं कई कूटनीतिक डोरियाँ
23 अप्रैल को हुए खूनी हमले के ठीक बाद भारत ने अपने रुख में बदलाव दिखाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित किया, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने का ऐलान किया और राजनयिक संबंधों को सीमित कर दिया। यह कदम आतंक को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के लिए चेतावनी है कि अब भारत सिर्फ बोलता नहीं, करारा जवाब देता है।