धर्म और राष्ट्र के लिए समर्पित संघर्षशील योद्धा, धर्मयोद्धा डॉ. सुरेश चव्हाणके जी इन दिनों महाराष्ट्र के दौरे पर हैं. वीर मराठों की पवित्र कर्मभूमि कराड़ में उनका ऐतिहासिक स्वागत हुआ. जहां देखो वहां केवल भगवा ही भगवा नजर आया. कराड़ की धरती पर जैसे ही डॉ. चव्हाणके जी पहुंचे, हिंदू समाज ने पारंपरिक तरीके से तलवारों की सलामी दी और 'जय भवानी, जय शिवाजी' के गगनभेदी नारों से आसमान को गुंजायमान कर दिया. भगवा ध्वज की शान, मराठा वीरों की परंपरा और धर्म के प्रति निष्ठा का अद्वितीय संगम इस आयोजन में देखने को मिला.
जानकारी के लिए बता दें कि पूरा वातावरण राष्ट्रभक्ति, संस्कृति और हिंदुत्व की भावना से ओतप्रोत हो गया. कराड़ की पवित्र भूमि एक बार फिर धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़ी हुई है, और इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं धर्मयोद्धा डॉ. सुरेश चव्हाणके जी. इस दौरान धर्मयोद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके ने अपार समूह को संबोधित किया. उन्होंने हिंदवी साम्राज्य स्थापना तक संघर्ष जारी रखने की शपथ भी दिलाई.
इससे पहले धर्मयोद्धा डॉ. सुरेश चव्हाणके जी ने बिहार की राजधानी पटना मे कहा कि मैंने महाराष्ट्र सरकार से हाल ही में आग्रह किया कि राज्य में कई ऐसे गांव हैं जहां एक प्रतिशत भी हिंदू नहीं बचे हैं. कुछ स्थानों पर केवल नाम हैं, लेकिन वहां कोई हिंदू निवास नहीं करता. यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि हम इन विषयों पर ध्यान नहीं देते. सीमावर्ती क्षेत्रों में जाएं तो ऐसे अनेक गांव मिल जाएंगे, जहां नाम मात्र के हिंदू हैं. टेक्नोलॉजी में तो उनके नाम हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है.
उन्होंने आगे कहा कि आज हम जो भारत का नक्शा देख रहे हैं, वह केवल 30 प्रतिशत शेष रह गया है. कभी हम इरान से इंडोनेशिया तक फैले हुए थे, लेकिन आज पाकिस्तान, बांग्लादेश हमसे अलग हो चुके हैं. जो वर्तमान नक्शा है, उसमें भी हिंदुओं के लिए कितने राज्य बचे हैं?” चव्हाणके जी ने बताया कि “2011 की जनगणना के अनुसार 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके थे. 2021 की जनगणना अब तक नहीं हुई है, परन्तु अनुमान है कि यह संख्या बढ़कर 13 हो चुकी है और जब 2025 की जनगणना होगी, तब तक यह आंकड़ा 16 राज्यों तक पहुंच सकता है. यह चिंतन का विषय है.