452 वर्षो में तीसरी बार काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार हो गया है। सन 1777 में अहिल्या बाई होल्कर के बाद अब काशी में बाबा के मंदिर का नवीनीकरण हुआ है, और नवीनीकरण भी ऐसा जिसको देख के न सिर्फ मानव बल्कि देवता भी प्रसन्न हो जाए। काशी विश्वनाथ की तंग गलियों से जरिये जो रास्ता बाबा तक पहुँचता था, अब वहीं तंग गलिया एक भव्य परिसर में बदल चुकी है।
काशी के ऐसे भव्य स्वरूप की कल्पना शायद ही किसी ने कभी की होगी, इस रूप में काशी आज प्रदर्शित हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे साथ ही गंगा आरती में भी सम्मिलित होंगे। लेकिन 'दिव्य' काशी का इतिहास भी 'भव्य' रहा है, मुगलो के आक्रमण से लेकर आज की रंग-रोगन तक काशी ने अपने इतिहास में बाहत चीज़े देखी है।
जब औरंगज़ेब ने दिया था विश्वेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान
मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से 1669 में आदि विश्वेश्वर के मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद 1777 में मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई ने विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद वर्ष 1835 में राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराया तो राजा औसानगंज त्रिविक्रम सिंह ने मंदिर के गर्भगृह के लिए चांदी के दरवाजे चढ़ाए थे।
काशी विश्वनाथ से संबंधित महत्वपूर्ण कालखंड पर नजर डालें तो औरंगजेब से पहले 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया था। 13वीं सदी में एक गुजराती व्यापारी ने मंदिर का नवीनीकरण कराया तो 14वीं सदी में शर्की वंश के शासकों ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया। 1585 में एक बार फिर टोडरमल द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था। अब 436 साल में तीसरी बार मंदिर का जीर्णोद्धार विश्वनाथ धाम के रूप में हुआ है।
लोकार्पण पर रोशनी से नहाएगा पूरा शहर
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर पूरा शहर रंगीन रोशनी से नहाएगा। घाट से लेकर गलियों तक रोशनी से सजावट होगी। शहर की सभी प्रमुख इमारतें रोशनी से सजाई जाएंगी। भव्य काशी दिव्य काशी के आयोजन को देश ही नहीं पूरी दुनिया देखेगी। सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री के हाथों कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद 14, 15 व 16 दिसंबर को काशी के सात लाख घरों में बाबा का विशेष प्रसाद पहुंचाया जाए।
रुद्राक्ष के पेड़ों से होकर बाबा तक पहुंचेंगे श्रद्धालु
करीब ढाई सौ साल पहले महारानी अहिल्याबाई के बाद अब विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार विश्वनाथ धाम के रूप में सामने आया है। वास्तविक रूप से धर्म नगरी में आने और आनंद कानन का अहसास कराने वाला चुनार के गुलाबी पत्थरों की आभा से दमकता विश्वनाथ धाम रिकॉर्ड समय यानी 21 महीने में बनकर तैयार हुआ है।
50 हजार वर्गमीटर एरिया वाले विश्वनाथ धाम का प्रधानमंत्री ने 8 मार्च 2019 को शिलान्यास किया था। निर्माण जनवरी 2020 में शुरू हुआ। निर्माण पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सात तरह के पत्थरों से विश्वनाथ धाम को सजाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे।