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Rangbhari Ekadashi 2024: जानें कब है रंगभरी एकादशी... इस दिन क्या होती है भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन साल में एक बार आने वाली फाल्गुन शुक्ल की एकादशी ऐसी है, जिसमें भगवान विष्णु के साथ प्रभु शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. फाल्गुन मास की एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है.

Shraddha Mishra
  • Mar 16 2024 8:57AM

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही विशेष तिथि माना जाता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन साल में एक बार आने वाली फाल्गुन शुक्ल की एकादशी ऐसी है, जिसमें भगवान विष्णु के साथ प्रभु शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. फाल्गुन मास की एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. इसके साथ ही इसे आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी भी कहते हैं. पौराणिक परंपराओं के अनुसार जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करता है उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इससे व्यक्ति तो सुख-सौभाग्य के साथ धन और बल की प्राप्ति होती है.

इस दिन है रंगभरी एकादशी

बता दें कि इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी 20 मार्च, दिन बुधवार को पड़ रही है. एकादशी तिथि 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरु होगी और 21 मार्च को रात 2 बजकर 22 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा. तो उदया तिथि के अनुसार, 20 मार्च, बुधवार को रंगभरी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

होती है प्रभु शिव और माता पार्वती की पूजा

एकादशी का वर्त भगवान विष्णु को समर्पित होता है. लेकिन रंगभरी एकादशी ऐसी है, जिसमें भगवान विष्णु के साथ प्रभु शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. रंगभरी एकादशी होली से कुछ दिन पहले ही पड़ती है. इस दिन से ही वाराणसी में रंग खेलना शुरू हो जाता है और यह सिलसिला छह दिन तक चलता है. 

रंगभरी एकादशी में आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है. इस दिन सुबह-सुबह आंवले के वृक्ष में जल चढ़ाएं. इसका साथ ही वृक्ष पर पुष्प, धूप, नैवेद्य अर्पित करने के बाद उसके पास दीपक जलाएं. इससे सौभाग्य और स्वास्थ्य प्राप्ति होगी. 

 क्यों होती है शिव-पार्वती की पूजा

 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती के साथ पहली बार काशी नगरी आए थे. इसी दिन भगवान शिव विवाह के बाद माता पार्वती को गौना कराकर काशी लेकर आए थे. इसीलिए रंगभरी एकादशी में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है.

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