"लता मंगेशकर".... भारतीय संगीत का एक वो बेजोड़ नाम जिसे हर भारतवासी जानता है। 'स्वर कोकिला' के नाम से मशहूर लता दीदी आज 92 वर्ष की हो गई है। अपने दौर की सफलतम गीतकार में से एक लता मंगेशकर का बोल बाला आज भी हर जगह है। अपने पूरे जीवनकाल के दौरान लता ने न केवल हिंदी बल्कि 36 अलग अलग भाषाओ में लगभग 50000 गाने गाये है। लता मंगेशकर को गायिकी क्षेत्र में अतुल्य योगदान देने के लिए भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी है। जन्मदिन के खास मौके पर आपको बताते हैं लता मंगेशकर के बारे में कुछ खास बातें।
लता नहीं है पहला नाम
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। गायकी का हुनर लता को विरासत में मिला था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे। लता चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। जन्म के वक़्त लता का नाम हेमा था, मगर कुछ साल बाद पिता ने अपने नाटक के पात्र लतिका के नाम पर उन्हें लता रख दिया। लता ने पांच साल की उम्र से ही अपने पिता से संगीत सीखना शुरू कर दिया था और थिएटर में एक्टिंग भी करती रहीं। तब वह 13 साल की थीं, तभी पिता दीनानाथ का निधन हो गया। 1945 की फ़िल्म बड़ी मां में लता और आशा ने छोटे रोल भी प्ले किये थे।
लता मंगेशकर की आवाज़ भी हो चुकी है रिजेक्ट
जिस आवाज़ के दम पर लता मंगेशकर ने कई सालों तक भारतीय सिनेमा को अपने जादू में बांधकर रखा, उसी आवाज़ को रिजेक्शन भी मिल था। संघर्ष के दिनों में प्रोड्यूसर सशाधर मुखर्जी ने लता की आवाज को 'पतली आवाज़' कहकर अपनी फ़िल्म 'शहीद' के लिए रिजेक्ट कर लिया था। इससे गुस्साए म्यूजिक डायरेक्टर ने एलान किया था कि एक दिन फ़िल्ममेकर्स लता के पैरों में गिरकर फ़िल्मों में गाने की फ़रियाद करेंगे। गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म 'मजबूर' में 'दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा' गीत गाने को कहा, जो काफी सराहा गया। लता ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना 'गॉडफादर' कहा था।
जब कुक ने दिया था जहर
सफलता की सीढ़ियां चढ़तीं लता मंगेशकर ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा। एक दिन लता के पेट में तेज दर्द होने लगा। वह खड़ी तक नहीं हो पा रही थी। उन्हें हरे रंग की उल्टियां होने लगी। जिसके बाद डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने जांच करने के बाद बताया कि उन्हें स्लो पॉयजन दिया जा रहा है यानि धीमा जहर। लता को खाने में स्लो पॉयजन दिया जा रहा था। लेकिन जिस दिन लता की तबीयत खराब हुई, उनका कुक अचानक ही गायब हो गया। उसने अपना वेतन तक नहीं लिया। इस घटना के बाद लता की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर ने रसोई की कमान अपने हाथ में ले ली थी।