भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाया है। भारत ने जम्मू के बगलिहार बांध के माध्यम से चिनाब नदी का पानी रोक दिया है। इसके साथ ही, भारत अब झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध को लेकर भी कड़े कदम उठाने की योजना बना रहा है। जानकारी के अनुसार, बगलिहार और किशनगंगा जलविद्युत बांधों के माध्यम से भारत को इन नदियों के पानी को नियंत्रित करने की क्षमता मिली है।
भारत का यह कदम पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद आया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। इस घटना के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का निर्णय लिया था। इस संधि ने 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को नियंत्रित किया है।
बगलिहार बांध दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद का कारण रहा है। पाकिस्तान इस मामले में विश्व बैंक से मध्यस्थता की मांग कर चुका है। इसके अलावा, किशनगंगा बांध को लेकर भी पाकिस्तान को आपत्ति है, विशेष रूप से नीलम नदी पर इसके प्रभाव के कारण।
सिंधु जल समझौते का इतिहास
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हस्ताक्षरित हुआ था। यह एक ऐतिहासिक करार था, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता से तैयार किया गया था। इस समझौते के अनुसार, भारत को रावी, सतलुज, और ब्यास नदियों का नियंत्रण मिला, जबकि सिंधु, चिनाब, और झेलम नदियों का नियंत्रण पाकिस्तान को सौंपा गया। हालांकि, भारत को इन नदियों का सीमित उपयोग करने की अनुमति दी गई, जिसमें सिंचाई, विद्युत उत्पादन और घरेलू उपयोग शामिल हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सिंधु नदी सिस्टम पर निर्भर है, जिससे देश के 93% पश्चिमी नदियों का पानी मिलता है। पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि इसी पानी पर निर्भर है, और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इस जल-प्रणाली पर टिकी हुई है। इसलिए जब भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का संकेत दिया, तो पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व में घबराहट और आक्रोश फैल गया।