किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना के साथ ही शुरू होती है। हिंदू धर्म में गणपति का महत्व बहुत अधिक होता है। हर महीने की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत भक्त रखते हैं। लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का महत्व खास होता है। ये तीन से दस दिनों का महोत्सव होता है जो देश के हर कोने में धूम-धाम से मनाया जाता है।
मान्यता ऐसी है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी से शुरू होकर ये महोत्सव अनंत चतुर्दशी को जाकर समाप्त होता है। इन दस दिनों में भक्त विधि-विधान से लंबोदर की पूजा करते हैं, उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं। भक्तों की ऐसी श्रद्धा है कि गणेश चतुर्थी में जो लोग गणेश जी को अपने घरों में विराजते हैं उनके आशीर्वाद से भक्तों के घर में रिद्धि-सिद्ध, धन-धान्य भरा रहता है। साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है।
कोविड के मद्देनजर रहेगी सख्ती
कोविड के कारण,गणपति पूजा की चमक इस बार भी पिछले वर्षो के मुक़ाबले कम ही रहेगी, बीएमसी ने तीसरी लहर के मद्देनजर कई पाबंदिया और दिशा-निर्देश जारी किये है.
· -सार्वजनिक पंडालों
में मूर्ति लाने और विसर्जन के लिए ले जाते समय 10 से अधिक लोग मौजूद नहीं होंगे.
· -घर में मूर्ति लाने
और विसर्जन के लिए ले जाते समय अधिकतम पांच लोग ही मौजूद रहेंगे.
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-सभी श्रद्धालुओं को
अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा और शारीरिक दूरी का पालन करना होगा.
· - उत्सव के दौरान जुलूस
में भाग लेने वालों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक लेनी होगी और
दूसरी खुराक लिए हुए 15 दिन से अधिक समय होना चाहिए.
पंडाल में जाना मना, ऑनलाइन होंगे दर्शन
महाराष्ट्र सरकार ने कड़े निर्देश दिए है कि इस बार पंडाल में कोविड महामारी के चलते लोगों को पंडाल में जाने की अनुमति नहीं होगी. राज्य के गृह विभाग की ओर से कहा गया कि पंडाल से केवल ऑनलाइन दर्शन की अनुमति दी जाएगी. इससे पहले गृह विभाग ने एक परिपत्र में कहा था कि उत्सव के दौरान सामाजिक दूरी का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए. नए परिपत्र में कहा गया है कि लोगों को गणेश पंडालों में जाने की अनुमति नहीं होगी.