नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के देश में विकसित विश्व की पहली दो जीनोम संपादित चावल की किस्मों के लोकार्पण के बाद मीडिया को इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये नई किस्में राष्ट्र में दूसरी हरित क्रांति का बिगुल बजाने में अग्रणी भूमिका निभाएंगी। शिवराज सिंह ने नई किस्में जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाने पर फोकस करते हुए अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए हैं।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा चावल की दो नई किस्में विकसित की गई है, जिसमें से एक कमला (डी आर आर धान 100): है, जिसे आईसीएआर-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईआरआर), हैदराबाद ने एक बारीक दाने वाली बहुप्रचलित किस्म सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) में दानों की संख्या बढ़ाने के लिए जीनोम संपादन किया है। नई किस्म कमला अपनी मूल किस्म सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) की तुलना में बेहतर उपज, सूखा सहिष्णुता, नाइट्रोजन उपयोग में दक्ष और 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। अखिल भारतीय परीक्षण में डीआरआर धान 100 (कमला) की औसत उपज 5.3 टन प्रति हे. पाई गयी जो साम्बा महसूरी (4.5 टन ) से 19 % अधिक है ।
चावल की दूसरी किस्म पूसा डीएसटी राइस 1 के बारे में बात करते हुए शिवराज सिंह ने बताया कि आईसीएआर, पूसा संस्थान, नई दिल्ली ने धान की बहुप्रचलित किस्म एमटीयू 1010 में सूखारोधी क्षमता और लवण सहिष्णुता के लिए उत्तरदायी जीन “डीएसटी” को संपादित कर नई किस्म डीएसटी राइस 1 का विकास किया है। उन्होंने कहा कि MTU1010 किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि इसका दाना लम्बा-बारीक होता है, दक्षिण भारत में रबी सीजन के चावल की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। यह सूखे और लवणता सहित कई अजैविक तनावों के प्रति संवेदनशील है। पूसा DST चावल 1 लवणता और क्षारीयता युक्त मृदा में एमटीयू 1010 की तुलना में 20% अधिक उपज देती है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने बताया कि यह किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए विकसित की गई है। उन्होंने कहा कि संस्तुत क्षेत्र में करीब 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में इन किस्मों के खेती से 4.5 मिलियन टन अधिक धान का उत्पादन होगा। ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 20 प्रतिशत यानि 3200 टन की कमी आएगी।
इसके अतिरिक्त 20 दिन की अवधि कम होने के कारण तीन सिंचाई कम लगने से कुल 7500 मिलियन क्यूबिक मीटर सिंचाई जल की बचत होगी, जो अन्य फसलों के लिए काम आएगा। इन किस्मों के जल्दी पकने की वजह से अगली फसल की बुआई समय से हो सकती है और बहुफसलीय प्रणाली को अपनाया जा सकता है।
चौहान ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि ये किस्में राष्ट्र में दूसरी हरित क्रांति का बिगुल बजाने में अग्रणी भूमिका निभाएंगी। प्रेस वार्ता के दौरान खाद्यान्न सुरक्षा के सवाल पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि भारत के पास किसी भी विकट स्थिति के लिए पर्याप्त खाद्यान्न है। केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लक्ष्य के साथ तेजी से काम चल रहा है, नई किस्मों की पहुंच किसानों तक जल्द से जल्द सुनिश्चित हो, इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।