1 मई को महाराष्ट्र स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यवासियों को शुभकामनाएं देते हुए महाराष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गरिमा को याद किया। सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने संदेश में उन्होंने लिखा कि जब भी महाराष्ट्र का नाम लिया जाता है, तो वीरता, परंपरा और प्रगति की एक गौरवपूर्ण छवि सामने आ जाती है।
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र की भूमिका को देश की उन्नति में अहम बताया और कहा कि यह प्रदेश अपनी सांस्कृतिक जड़ों को थामे रखते हुए आधुनिक भारत के निर्माण में अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने जनता को समर्पित भाव से कार्य करते रहने और राज्य के निरंतर विकास की कामना की।
वीरों की भूमि को CM फडणवीस का नमन
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के ऐतिहासिक हुतात्मा चौक पर संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों पर चलने वाला यह राज्य अब एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर है। उन्होंने ऐलान किया कि अगले 100 दिनों में राज्य सरकार एक नई विकास योजना की शुरुआत करेगी, जिससे महाराष्ट्र को वैश्विक मंच पर और अधिक मजबूत बनाया जाएगा।
राज्यभर में झंडारोहण और एकजुटता के आयोजन
महाराष्ट्र दिवस पर प्रदेश के हर कोने में राष्ट्रध्वज फहराया गया। पुणे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुलिस मुख्यालय में तिरंगा लहराया, तो वहीं मुंबई में राज्यपाल रमेश बैस ने झंडारोहण कर देशभक्ति की मिसाल पेश की। ठाणे के साकेत मैदान में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वतंत्रता सेनानियों और आंदोलनकारियों को याद करते हुए कहा कि यह राज्य हर संघर्ष के बाद और मज़बूती से खड़ा होता है।
मराठी अस्मिता का प्रतीक है महाराष्ट्र आंदोलन
1 मई 1960 को जिस आंदोलन की परिणति एक अलग राज्य के गठन में हुई, वह केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं थी, बल्कि मराठी भाषा, संस्कृति और स्वाभिमान की रक्षा की एक ऐतिहासिक जंग थी। केशवराव जेधे के नेतृत्व में 1955 में पुणे में बनी संयुक्त महाराष्ट्र परिषद ने यह बिगुल फूंका था, जिसने 'मुंबई हमारी राजधानी होगी' के नारे के साथ जनमानस को एक कर दिया।
आज जब महाराष्ट्र एक सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य के रूप में खड़ा है, तो यह उन हुतात्माओं का ही फल है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी।