आज भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलबिहारी बाजपेयी जी की पुण्यतिथि है. 2018 में स्वतंत्रता दिवस के ठीक अगले दिन अर्थात 16 अगस्त को भारतीय राजनीति के चमकते सितारे, जनता के प्रिय नेता अटल बिहारी बाजपेयी जी ने 93 साल की आयु में शरीर छोड़ दिया था तथा देवलोकवासी हो गये थे. अटल बिहारी बाजपेयी जी को भारतीय राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता था. इस सबके बीच अटल जी भारतीय राजनीति के एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने मजहबी तुष्टीकरण की राजनीति की आंधी के बीच हिन्दू, हिंदुत्व, भगवा जैसे पूज्य शब्दों को गर्व के न सिर्फ स्वयं गुंजायमान किया बल्कि इन्हें जनता की आवाज भी बनाया.
वो आवाज जो आज भी कानों में गूंज जाती है, वो नाम जो भारत की फ़िज़ाओं में सदा ध्रुव तारे की तरह अटल रहेगा, वो व्यक्ति जो खुल कर कहता था कि "रग रग हिन्दू मेरा परिचय". यद्द्पि इस सत्य पर विश्वास करना बेहद कठिन है कि वो अब हमारे बीच मे नहीं है लेकिन उनके शब्द, उनकी शिक्षाओं, उनके जीवन दर्शन, उनकी जीवटता सदा सदा के लिए भारत को प्रेरणा देती रहेगी.. भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सतत प्रयास करने वाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज पुण्यतिथि है.
आज राष्ट्र याद कर रहा उस महापुरुष को जिसने अपने खुले शब्दो मे कहा था कि - "अमेरिका क्या, संसार भले ही हो विरुद्ध, पर भारत का मस्तक नही झुकेगा". कितनी मुश्किल रही होगी उनकी राहों में, कितने कांटे बिछाए गए होंगे उनके पथ पर इसका सहज अनुमान उस समय के हालात से लगाया जा सकता है कि उस समय हिन्दू, धर्म, हिन्दुत्व आदि की बातें करना भी उन्माद माना जाता था.. कुछ नेता तो खुल कर कहते थे कि वो एक्सिडेंटल हिन्दू हैं..लेकिन ठीक उसी समय भगवा ध्वज ले कर निकल पड़े थे अटल बिहारी जी मात्र कुछ गिने चुने लोगों को ले कर एक अलग ही पथ पर जो सत्य का था, न्याय का था, नीति का था.
उस समय उनको जोर जोर से साम्प्रदायिक शक्तियों में गिना जाने लगा और पीड़ित हिन्दुओ की आवाज उठाने की उनकी कोशिश को दंगाई मानसिकता बताया जाने लगा. महान सावरकर जी के पद चिन्हों पर चलना न जाने क्या गलत लगता था किसी को पर उनके पथ पथिक के रूप में अटल जी को भगवा वादी कहा जाने लगा लेकिन इसी विरोध ने उनको मजबूती दी और वो स्वर्ण तप कर और भी ज्यादा चमकदार हो गया था..कहना गलत नही होगा कि उनके साथ पांडवों जैसी सेना भले ही कम थी लेकिन वो अजेय हो गए थे.
अटल जी के देवलोकवासी होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल के पास अटल जी की स्मृति में "सदैव अटल" स्मारक बनवाया. आज अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचार, उनकी चमकती हुई आभा हमेशा हिंदुस्तान के साथ रहेगी. अटल बिहारी बाजपेई चाहे संसद में बोले हों, चाहे लालकिले से बोले हों या संयुक्त राष्ट्र में उनका हिन्दी में दिया गया भाषण हो. हर बार अटल जी ने अपनी वाक्पटुता से न सिर्फ देश में नई ऊर्जा का संचार किया बल्कि आमजनमानस के मन को भी मोह लिया. सुदर्शन परिवार आदरणीय अटल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है, उन्हें नमन वंदन करता है. अटल जैसा न कोई हुआ न होगा.