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सप्ताह का संवाद : अडानी पर सियासत भारी..सभा के आगे अब क्या?..पॉलिटिक्स गरम है..भगवान भरोसे..Mute मोड में BJP..हस्ताक्षर पर भ्रम..सहायिकाएं 'सहायक' साबित होंगी

सुदर्शन न्यूज़ का सप्ताहिक विशेष कॉलम

Yogesh Mishra
  • Mar 13 2023 9:31AM







अडानी के विरुद्ध कांग्रेस का हल्लाबोल 
आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अंबेडकर चौक में धरने के बाद कांग्रेसी राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के ब्लाक से लेकर प्रदेश स्तर तक के पदाधिकारी शामिल होंगे। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार की अडानी के पक्ष में कोनी कैपिटलिज्म नीति के कारण देश का नुकसान हो रहा है। गहरे आर्थिक संकट के समय भाजपा की मोदी सरकार देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को अडानी समूह को बेच रही है और एसबीआई व एलआईसी जैसी सार्वजनिक संस्थाओं को अडानी समूह में निवेश करने को मजबूर कर रही है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के भारतीयों की करोड़ों की बचत जोखिम में है, जिसके खिलाफ देशभर में कांग्रेस पार्टी द्वारा चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है। 




कर्मचारियों की अनियमित सभा 
गत 6 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ का बजट प्रस्तुत किया। कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल का यह आख़िरी बजट है। लिहाज़ा इस बजट से प्रत्येक वर्ग को खासी उम्मीद थी, कि CM भूपेश के पिटारे से सबके लिए कुछ न कुछ बेहतर निकलेगा! प्रदेश में लाखों अनियमित कर्मचारियों, जिसमें संविदा, दैनिक वेतन भोगी, कलेक्टर दर, श्रमायुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक, प्लेसमेंट, मानदेय, अशंकालिक, जाबदर, ठेका पर कार्य करने वाले आते हैं, इनके नियमितीकरण, पृथक कर्मचारियों की बहाली, अंशकालीन कर्मचारियों की पूर्णकालीन करने, आउट सोर्सिंग-ठेका बंद के सम्बन्ध में किसी प्रकार के प्रावधान/घोषणा नहीं करने से अनियमित कर्मचारी आक्रोशित हैं। कांग्रेस के जन-घोषणा पत्र “दूर दृष्टि, पक्का इरादा, कांग्रेस करेगी पूरा  वादा” के बिंदु क्रमांक 11 एवं 30 में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छंटनी न करने तथा आउट सोर्सिंग बंद करने को स्थान दिया था। पर बीते लगभग साढ़े चार वर्षों में इसपर ठोस निर्णय नहीं हुआ। नतीजतन नाराज़ अनियमित कर्मचारियों ने रविवार को धरना स्थल तुता, नवा रायपुर में 'अनियमित सभा' का आयोजन किया और राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया, गौर करने वाली बात ये भी है कि इस सभा में 46 अनियमित संघों के पदाधिकारी एक सदस्य सम्मिलित हुए। ऐसे में सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में प्रदर्शनरत ये कर्मचारी उपवास रखकर, अनशन करके अपनी आवाज़ बुलंद करते नज़र आएंगे। लिहाज़ा इनकी मांगों पर सरकार वादानुरुप क्या निर्णय ले पाती है, ये देखना भविष्य के अनेक परिणामों को नया एंगल देता नज़र आएगा। क्योंकि ये आगामी विधानसभा चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाते नज़र आयेंगे।





PM आवास पर पॉलिटिक्स गर्म है
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना मामले पर सियासी तलवारें खिंचीं हुई हैं। भाजपा के नेता इस मामले को लेकर 15 मार्च को विधानसभा घेरने वाले हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि वे 20 लाख आवासहीन परिवारों को लेकर विधानसभा घेरेंगे। इससे पहले आरंग में भाजपा ने आवासहीन अधिवेशन के जरिए पीएम आवास मामले पर हमला बोला था। मामले में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री आवास को लेकर भाजपा ने एक बार फिर से झूठ बोला है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में बार-बार ये कहा कि केंद्र सरकार यदि सर्वे की घोषणा नहीं करती तो 1 अप्रैल से 30 जून 2023 के बीच राज्य सरकार खुद आवासहीन लोगों की सर्वे कराएगी। मतलब साफ़ है कि जिस पीएम आवास योजना को लेकर विपक्ष सदन में हमलावर रहा, जिस पीएम आवास योजना को लेकर भाजपा ने आवासहीन अधिवेशन किया, पीएम आवास योजना को लेकर भाजपा 15 मार्च को विधानसभा घेरने की रणनीति बना बैठी है, उस पीएम आवास योजना को लेकर मुख्यमंत्री ने खुद ही अपनी प्लानिंग स्पष्ट कर दी है, ऐसे में विधानसभा घेराव से भाजपा के पॉलिटिकल माइलेज में बढ़ोतरी हो भी पाती है या नहीं, ये देखना भी दिलचस्प होगा।







भगवान भरोसे!
छत्तीसगढ़ में इन दिनों लचर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल लगातार खड़े होते रहे हैं। पिछले दिनों बस्तर संभाग में जिस तरह से भाजपा नेताओं की हत्या की गई, उसको लेकर प्रदेश में राजनीति भी खूब गर्म हुई, मामला सदन में सुनाई दिया। हाल ही में छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा में एक एएसआई की संदिग्ध परिस्थितियों में जिस तरह से लाश बरामद हुई, उससे यह आशंका जताई जा रही है कि किसी ने नृशंस तरीके से उनकी हत्या की है। ऐसे में चर्चा ये भी है कि जब अपराधियों के मन में खौफ़ और अपराधों पर अंकुश लगाने वाले अधिकारियों को इस तरह बैरक में घुसकर मारा जा रहा है, तो राज्य में कानून व्यवस्था का तो भगवान ही मालिक है! कोरबा जिले में हुई इस घटना में पुलिस को एएसआई नरेंद्र सिंह के सिर पर गम्भीर चोट के निशान मिले हैं और इसी से उनकी मौत हुई है। वैसे हर बिंदु से पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।





NSA पर Mute मोड में BJP 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होलिका दहन के दिन कुछ शरारती तत्वों ने भगवान महादेव के पोस्टर को फाड़ा और उसे आग के हवाले कर दिया। इस पूरी घटना से लोग नाराज दिखे, लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया। लोगों को कंट्रोल करने रायपुर के रामनगर क्षेत्र में कई थानों के बल को डिप्लॉय किया गया, पुलिस के कई अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ। जिसके बाद जांच में पुलिस ने मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद समीर खान और चार अन्य आरोपियों, जिन्हें पुलिस ने नाबालिग बताया, उन्हें पकड़ा। इस मामले में जिस तरह से शाहिद, समीर समेत अन्य लोगों ने हिंदू आस्था का अपमान किया और द्वेष फैलाने का कुत्सित कार्य किया, उसे लेकर छत्तीसगढ़ के संत खासे नाराज हैं। रायपुर के नीलकंठेश्वर धाम के संस्थापक पंडित नीलकंठ त्रिपाठी ने इस मामले में आरोपियों पर बिना विलंब राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की। हैरत की बात तो यह है छत्तीसगढ़ में जब NSA सम्बन्धित आदेश जारी किया गया था, तब विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस मामले को लेकर खूब हल्ला किया था, लेकिन जब प्रदेश की राजधानी रायपुर में महादेव के पोस्टर को आग के हवाले किया गया, शांतिभंग करने की कोशिश हुई, तो भारतीय जनता पार्टी के नेता मौन साधे बैठे हुए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या भाजपा के कार्यकर्ता और नेताओं पर कार्रवाई होने पर ही NSA के तहत कार्यवाही होने में विपक्ष की नींद टूटती है? या विपक्ष की भूमिका यही होती है कि वह केवल अपने कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही होता देख राजनीति के मैदान में कूदे? या फिर राज्य के हित के जुड़े मुद्दों पर सतत आवाज उठाए!
वैसे अब तक इतने बड़े मामले में राज्य की BJP Mute मोड में है।







हस्ताक्षर पर भ्रम
छत्तीसगढ़ में राज्यपाल को तो बदल दिया गया, पर आरक्षण के मामले को लेकर फिर भी संग्राम लगातार जारी है। इस हफ्ते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात को लेकर आशानुरूप बात कहते हुए कहा कि आरक्षण मामले को लेकर सार्थक चर्चा हुई है, उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यपाल जल्द ही हस्ताक्षर करेंगे। फिलहाल आरक्षण मामले में 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। आरक्षण का मामला लंबे समय से राज्य में अटका हुआ है, जिससे परीक्षा परिणाम, भर्तियां आदि कई प्रक्रियाएं ठहर सी गई हैं। देखना यह है राज्यपाल हस्ताक्षर करते हैं या फिर हस्ताक्षर पर फिर राज्य में सियासत देखने को मिलती है।



सहायिकाएं होंगी 'सहायक'
छत्तीसगढ़ में 6 मार्च को आए बजट में एक वर्ग ऐसा है, जिसे राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल खोलकर दिया। वो वर्ग है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का मासिक मानदेय क्रमश: 6,500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये और 3,250 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। इसी तरह 'छोटे' आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 4,500 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये मानदेय दिया जायेगा। राज्य सरकार के इस बड़े दिल वाले निर्णय से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खुश हैं, और तय माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ता एवं सहायिकायें 'सहायक' साबित अवश्य होंगी।
 

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