देश की राजधानी दिल्ली के अस्पताल में चल रहे मौत के खेल में रोज नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के इस अस्पताल में 35 फीसदी की दलाली देकर लोगों को मौत बेची जा रही थी. बता दें कि यहां 35 फीसदी की दलाली देकर मरीजों को बुलाया जाता था. जिसके बाद उनकी नकली ब्लड रिपोर्ट तैयार की जाती थी. ब्लड रिपोर्ट में फर्जी बिमारियां दिखाकर लैब टेक्निशियन उसी आधार पर उन लोगों का ऑपरेशन कर देता था. अब तक इस भयानक रैकेट की चपेट में आकर 7 लोग अपनी जान गवा चुके हैं.
फर्जी ब्लड रिपोर्ट के आधार पर होता था ऑपरेशन
मामला दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में बने अग्रवाल मेडिकल सेंटर नाम के अस्पताल का है. लगभग एक सप्ताह पहले यहां चल रहे एक भयानक रैकेट का खुलासा हुआ था. सालों से अग्रवाल मेडिकल सेंटर नाम के इस अस्पताल को चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार सितंबर और अक्टूबर महीने में गॉल ब्लैडर की सर्जरी के दौरान दो मरीजों की मौत हो गई थी. यह दोनों ही सर्जरी लैब टेक्निशियन और अस्पताल के मालिक की पत्नी पूजा अग्रवाल ने की थी.
बता दें कि सितंबर महीने में जिस मरीज की मौत हुई उसकी पत्नी ने अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. जिसके बाद जांच शुरू हुई और इस मामले में एक के बाद एक कई खुलासे हुए. जांच के बाद पुलिस ने अस्पताल के मालिक नीरज अग्रवाल , उसकी पत्नी पूजा अग्रवाल, लैब टेक्निशियन महेन्द्र सिंह और एक डॉक्टर जसप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया था.
ऑटो ड्राइवर खुद को डॉक्टर बताकर लाता था मरीज
पुलिस ने इस मामले में जुल्फीकार नाम के एक ऑटो ड्राइवर को गिरफ्तार किया है. जुल्फीकार अपने आप को होम्योपैथ का डॉक्टर बताकर मरीजों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर में लेकर आता था. वो बिना किसी डॉक्टरी की डिग्री के ही मरीजों को दवाई देता था और उसके बाद उन्हें अग्रवाल मेडिकल सेंटर में रेफर कर देता था. जुल्फीकार को इस काम के बदले मरीज की फीस का 35 फीसदी मिलता था. जुल्फीकार अब तक ऐसे ही 30 से अधिक लोगों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर भेज चुका है.
डॉक्टर बनकर लैब टेक्निशियन करता था सर्जरी
अस्पताल में मरीजों का ब्लड टेस्ट करवाया जाता था. जिसके बाद उसकी फर्जी रिपोर्ट बनाकर मरीज को बड़ी बीमारियां बताई जाती. इसके बाद यह लोग मरीजों से ब्लड टेस्ट का खर्चा और दवाईयों का खर्चा लेते थे. इसके साथ ही कई बार मरीजों का ऑपरेशन भी कर देते थें. सिर्फ लूट ही नहीं यह लोग मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते थे. अस्पताल में लैब टेक्निशियन ही अपने आप को डॉक्टर बताकर मरीजों का ऑपरेशन कर देता था.