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यहां 35 फीसदी की दलाली देकर मरीजों को बुलाया जाता था. जिसके बाद उनकी नकली ब्लड रिपोर्ट तैयार की जाती थी. ब्लड रिपोर्ट में फर्जी बिमारियां दिखाकर लैब टेक्निशियन उसी आधार पर उन लोगों का ऑपरेशन कर देता था.