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भाजपा के फायरब्रांड की मांग - "बदला जाए राष्ट्रगान"... जानिए कहां जरूरी लगा ये बदलाव

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राष्ट्रगान में बदलाव को लेकर लिखा प्रधानमंत्री को पत्र...

Sudarshan News
  • Dec 2 2020 4:39PM
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्रगान में बदलाव की मांग की है और इसके लिए उन्होंने हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी है। स्वामी ने पीएम मोदी को भेजे गए इस पत्र को ट्विटर पर भी शेयर किया है। उन्होंने खत में कहा है कि राष्ट्रगान 'जन गण मन...' को संविधान सभा में सदन का मत मानकर स्वीकार कर लिया गया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के आखिरी दिन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने बिना वोटिंग के ही ‘जन गण मन…’ को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार कर लिया था। हालांकि उन्होंने माना था कि भविष्य में संसद इसके शब्दों में बदलाव कर सकती है। 

सुब्रमण्यन स्वामी ने लिखा है कि उस वक्त आम सहमति जरूरी थी क्योंकि कई सदस्यों का मानना था कि इस पर बहस होनी चाहिए। क्योंकि इसे 1912 में हुए कांग्रेस अधिवेशन में ब्रिटिश राजा के स्वागत में गाया गया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सदस्यों की भावना को समझते हुए यह काम भविष्य की संसद पर छोड़ दिया था।

बता दें कि जन गण मन..' गीत को पहली बार 27 दिसंबर साल 1911 को गाया गया था। इस गीत को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था। यह गीत 28 नवंबर को अंग्रेजी अख़बारों की सुर्खियों में छाया रहा। संविधान सभा ने जन गण मन के हिन्दी संस्करण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी साल 1950 को अपनाया था। स्वामी ने पीएम मोदी से अपील की है कि वह संसद में प्रस्ताव लाएं कि 'जन गण मन...' की धुन से छेड़छाड़ किए बगैर इसके शब्दों में बदलाव किया जाए। स्वामी ने सुझाव भी दिया है कि इसमें सुभाष चंद्र बोस द्वारा किए गए बदलाव को ही स्वीकार किया जा सकता है।

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