एकतरफ इस्लामिक आतंकी दल तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद बर्बरता कर रहा है, निर्दोषों का लहू बहा रहा है तो वहीं राजस्थान के जैसलमेर में भी तालिबान की एंट्री हो गई है. अफगानिस्तान में जिस तालिबान की जिहादी गतिविधियाँ न सिर्फ भारत बल्कि विश्व समुदाय के लिए चिंता का सबब बनी हुई हैं, भारत पाक सीमा पर बसे जैसलमेर में उसी तालिबान के नाम पर एक क्रिकेट क्लब का गठन हुआ है जो एक स्थानीय टूर्नामेंट में भाग भी ले रहा है.
खबर के मुताबिक़, भारत-पाकिस्तान की सीमा पर राजस्थान के जिले जैसलमेर में अलादीन खां स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट हो रहा है. इस टूर्नामेंट में आसपास के क्षेत्र की किकेट टीमें भाग ले रही हैं. जैसलमेर जिले के जेसूराना गांव में हर साल यह ट्राफी आयोजित की जाती है. इसमें आसपास के गांवों की टीमें हिस्सा लेती हैं। इस साल समाजसेवी अलादीन खान स्मृति में क्रिकेट प्रतियोगिता का 22 अगस्त से आयोजन किया जा रहा है. इसमें 10 टीम खेल रही हैं.
ये स्थानीय टूर्नामेंट इस बार तब सुर्ख़ियों में आया, जब इसमें तालिबान क्रिकेट क्लब के नाम से एक टीम ने एंट्री ली. जानकारी के अनुसार, सभी टीमों की एंट्री ऑनलाइन की जा रही थी. इसमे चौधरियां गांव से भी तालिबान क्रिकेट क्लब के नाम से एक टीम ने ऑनलाइन एंट्री ली. आयोजकों भी ने तालिबान क्रिकेट क्लब को टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति दे दी. तालिबान क्लब की क्रिकेट टीम में मठारखान (कप्तान), अबाल बाजीगर खान, अलाद्दीन खान, अमीन खान, गुमानाराम, हाजी, जाको, जमाल खान, कमाल जंज, खामिश खान, माधे खान, महेश व मेराब खान थे.
जैसे ही ये खबर सामने आई, तो हडकंप मच गया. सोशल मीडिया पर इसे लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ तथा क्रिकेट टीम का नाम तालिबान के नाम पर रखने वाले लोगों व आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की मांग की गई. जैसे ही विवाद बढ़ा, आयोजकों के होश उड़ गए तथा उन्होंने डैमेज कंट्रोल के तहत तालिबान क्लब की टीम को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया तथा माफी माँगी. लेकिन इसे लेकर लोगों के अंदर आक्रोश है. इसे लेकर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने भी तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि ये लोग देश को बांटना चाहते हैं, ऐसे लोगों की इस देश में कोई जरूरत नहीं है.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि कुछ लोग भारत को बांटना चाहते हैं. यह उन्हीं की सोच है.चौधरी ने कहा कि आप देख सकते हैं कि तालिबान में किस तरीके का हाल है. उनके समर्थक अगर यहां पर इस तरीके का नाम रखकर ऐसी विचारधारा दर्शाते हैं तो उनके लिए इस देश में कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि इस सोच के लोगों का ज्यादा समय नहीं बचा है. क्योंकि जो हाल तालिबान में हुआ है, उन हालात का ये लोग समर्थन कर रहे हैं. जो कि देश बांटने का काम है.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के अंदर के कई गद्दारों ने तालिबान का समर्थन किया है. इसके बाद राजस्थान में तालिबान के नाम पर क्रिकेट टीम का गठन किया जाता है. ऐसे ये सवाल तो उठना लाजिमी है कि ये सिर्फ संयोग मात्र है या प्रयोग? जो तालिबान आतंकी संगठन है तथा उसके सहयोग के पाकिस्तान कश्मीर कब्जाने के नापाक सपने देख रहा है, उस तालिबान के नाम पर क्रिकेट टीम का गठन करना सिर्फ संयोग तो नहीं हो सकता है.
क्रिकेट टीम का नाम अब्दुल कलाम के नाम पर हो सकता था, अब्दुल हमीद के नाम पर हो सकता था, देश के अन्य किसी नायक के नाम पर हो सकता था लेकिन ऐसा न करके टीम का नाम तालिबान के नाम पर रखा गया जो आतंकी संगठन तालिबान को लेकर उनकी सोच तथा समर्थन को दर्शाता है. एकतरफ देश के कई इस्लामिक मौलाना तथा जानकार तालिबान को अफगान विजय की बधाई दे रहे हैं, इसी बीच पाकिस्तान की सीमा पर तालिबान के नाम पर क्रिकेट टीम बनाना कोई संयोग नहीं है बल्कि प्रयोग है. यही कारण है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ लोग सख्त एक्शन की मांग कर रहे हैं.