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#सुदर्शन_शौर्य_के_16_वर्ष : 22 साल से उडीसा जेल में बंद "दारा सिंह" के लिए उठने वाली पहली आवाज है "सुरेश चव्हाणके" जी की

दारा सिंह की रिहाई की आवाज इस स्तर पर उठाने वाले सुरेश चव्हाणके जी मीडिया ही नहीं बल्कि लगभग हर वर्ग के प्रथम व्यक्ति हैं तथा आज सुदर्शन न्यूज़ के 16 वर्ष पूरे होने पर इस मांग को पुनः दोहरा रहे हैं.

Abhay Pratap
  • Aug 9 2021 12:28PM

देश व धर्म की आवाज को प्रखर तरीके से उठाने वाले आपके अपने सुदर्शन न्यूज चैनल की स्थापना के आज 16 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. सुदर्शन के शौर्य के 16 वर्ष पूर्ण होने पर आज हम याद कर रहे हैं उस दारा सिंह को, जो धर्मांतरण की मशीन बन चुके ईसाई पादरी ग्राहम स्टेंस व उसके परिवार को ख़त्म कर देने के आरोप में करीब 22 वर्षों से जेल में बंद हैं. सुदर्शन न्यूज व सुरेश चव्हाणके जी लंबे समय से दारा सिंह को रिहा कराने की मांग करते रहे हैं.

दारा सिंह की रिहाई की ये वो आवाज है जो अब तक किसी के भी मुह से नहीं निकली. वो 22 साल से जेल की सलाखों के अंदर है और जेल में उसका व्यवहार एकदम सही और न्यायोचित था . उसका कितना टार्चर हुआ इसकी भी आज तक किसी को जानकारी नहीं है. तमाम ऐसे लोग इस बीच में जेल से दया के नाम पर छोड़ दिये गये हैं जो अपनी पत्नियों को टुकड़ों में काट कर तंदूर में जलाते पकडे गये थे. जैसे कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा और कई नक्सली और आंतकी जिन्होंने जीवन भर भारत के सैनिको पर हमले किये.

उस दारा सिंह को रिहा करवाने की आवाज सबसे पहले सुरेश चव्हाणके जी ने उठाई. साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, स्वामी अमृतानन्द, स्वामी असीमानंद, धनञ्जय देसाई आदि की सफल मुहिम छेड़ने और उनको आख़िरकार न्याय दिलाने की मुहिम सफलतापूर्वक चलाने वाले सुरेश चव्हाणके जी दारा सिंह की रिहाई करवाने की मांग भी उठाते रहे हैं. लाइव टीवी पर उन्होंने दारा सिंह की लगभग पूरी हो चुकी सजा पर पुनर्विचार करने के लिए कई बार कहा है.

ज्ञात हो कि खबर से पहले ध्यान देने योग्य है कि कभी धर्मांतरण की मशीन बन चुके उडीसा के ग्रैहम स्टेंस के परिवार को खत्म कर देने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ता दारा सिंह को पिछले लगभग 22 वर्षो से एक पल के लिए भी जेल से बाहर निकलने नहीं दिया गया. 22-23 जनवरी वर्ष 1999 की मध्य रात्रि में उड़ीसा के क्योंझर-मयूरभंज जिलों की सीमा पर मनोहरपुर नामक ग्राम में अनगिनत लोगों का धर्मांतरण करवा चुके एक आस्ट्रेलियाई मिशनरी स्टेन्स को उसके परिवार के साथ मार देने की घटना ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. हमला धर्मनातरण करवाने वालों की जड़ पर था इसीलिए एक नाम बहुत चर्चा में आया जिसे सबने एक स्वर में कहा "दारा सिंह.

इसके बाद दारा सिंह का नाम किसी ने नहीं सुना और न ही किसी ने लिया. लेकिन सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने दारा सिंह की रिहाई की मांग कई बार की है. सुरेश चव्हाणके जी ने कहा है कि यदि सरकार को लगता है कि दारा सिंह सजा पूरी हो चुकी है तो उस पर पुनर्विचार किया जाय और उसके साथ भी वही मापदंड अपनाया जाय तो अक्सर अल्पसंख्यक नाम आने के बाद अपनाया जाता है . याद रखने योग्य है कि ये आवाज इस स्तर पर उठाने वाले सुरेश चव्हाणके जी मीडिया ही नहीं बल्कि लगभग हर वर्ग के प्रथम व्यक्ति हैं तथा आज सुदर्शन न्यूज़ के 16 वर्ष पूरे होने पर इस मांग को पुनः दोहरा रहे हैं.

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