बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र दिन है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाएं हुई थीं, इसलिए इसे 'त्रिसंयोजित पर्व' भी कहा जाता है। तो जानिए क्यों है यह दिन खास।
कब है बुद्ध पूर्णिमा?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत रविवार, 11 मई को रात्रि 8 बजकर 1 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 12 मई को रात्रि 10 बजकर 25 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व सोमवार 12 मई को मनाया जाएगा।
क्यों है यह दिन विशेष
बुद्ध पूर्णिमा न केवल भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनके आत्मज्ञान और महापरिनिर्वाण का भी स्मरण कराती है। यह दिन आत्मिक जागृति, करुणा और अहिंसा के संदेश को फैलाने का अवसर प्रदान करता है। बौद्ध अनुयायी इस दिन ध्यान, पूजा, दान और उपवास के माध्यम से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं।
घर में लाएं ये चीजें, बढ़ेगी सुख-समृद्धि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष वस्तुओं को घर में लाने से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है:
बुद्ध की प्रतिमा या चित्र: ध्यान मुद्रा में बुद्ध की प्रतिमा को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
लकी बैंबू (बांस का पौधा): ईशान कोण में रखने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है।
घी का दीपक और चंदन की धूप: पूजा स्थान पर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मोर पंख: मुख्य द्वार पर लगाने से सकारात्मकता का संचार होता है।
चांदी के सिक्के: पूजा घर या तिजोरी में रखने से आर्थिक समृद्धि आती है।
दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
भारत के अलावा, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन और कोरिया जैसे देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा को 'वेसाक' के रूप में मनाया जाता है। इन देशों में मंदिरों में विशेष पूजा, ध्यान, दीप प्रज्वलन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जैसे, दक्षिण कोरिया में 'योनदुन्होए' नामक लोटस लालटेन महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें हजारों रंग-बिरंगी लालटेनें सजाई जाती हैं।