यह खुलासा हुआ है रामराज्य मिशन द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में, जो पहलगाम के बसैरान घाटी में हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या की जांच के लिए बनाई गई थी। 3 दिन की मैदानी पड़ताल के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि सोची-समझी जिहादी रणनीति थी- जिसमें स्थानीय सहयोग, धार्मिक कट्टरता और रणनीतिक प्लानिंग शामिल थी।
धार्मिक पहचान के आधार पर की गई चुन-चुन कर हत्याएं
22 अप्रैल को बसैरान घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों को रोककर कलमा पढ़ने को कहा। जो नहीं पढ़ सके- यानी हिंदू- उन्हें गोली मार दी गई। हमलावर योजनाबद्ध ढंग से घाटी की उन जगहों को चुन रहे हैं, जहाँ सुरक्षा तंत्र नरम और उपस्थिति नगण्य है।
घाटी में अब भी गहरी है जिहादी घुसपैठ
रामराज्य मिशन की रिपोर्ट के अनुसार:
• घाटी में अभी भी एक मज़बूत स्थानीय आतंकी समर्थन नेटवर्क सक्रिय है।
• सीमापार से आए जिहादी स्थानीय गाइड, हॉकर, होटल संचालकों के सहयोग से आगे बढ़ते हैं।
• आज भी कश्मीर में एक ऐसा वर्ग है जो भारत विरोधी मानसिकता से ग्रसित है, और इन घटनाओं में उनका मौन या सक्रिय समर्थन झलकता है।
‘शांति’ की आड़ में पनपता कट्टरपंथ
बीते कुछ वर्षों में घाटी में पर्यटकों की संख्या और विकास गतिविधियों में तेजी आई — लेकिन इससे एक भ्रम पैदा हुआ कि आतंकवाद खत्म हो गया है। जबकि सच्चाई यह है कि विकास की चमक के नीचे, कट्टरपंथ की राख अभी भी सुलग रही है।
सुधार की सख्त ज़रूरत – रिपोर्ट के प्रमुख सुझाव
रामराज्य मिशन की फैक्ट फाइंडिंग समिति ने स्पष्ट सुझाव दिए:
• कश्मीर में जनसंख्या संतुलन स्थापित किया जाए- हिंदू परिवारों, पूर्व सैनिकों और राष्ट्रवादी वर्ग को घाटी में बसाया जाए।
• कश्मीरी पंडितों की वापसी को राष्ट्रीय मिशन का रूप दिया जाए।
• जातीय जनगणना कर सनातन पहचान को प्रोत्साहित किया जाए।
• घाटी में CCTV निगरानी, बॉर्डर सुरक्षा और हेलिकॉप्टर पहुंच जैसे सुरक्षा मानकों को अपग्रेड किया जाए।
• POK को भारत में मिलाने की दिशा में सक्रिय प्रयास किए जाएं।
• बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का समर्थन कर पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाया जाए।
सुदर्शन न्यूज़ का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण
“भारत के नक्शे में कश्मीर भले पूरा हो, लेकिन कश्मीर की आत्मा तब तक अधूरी रहेगी जब तक वहाँ सनातन संस्कृति, राष्ट्रवाद और भारतमाता के प्रति निष्ठा की पुनः स्थापना नहीं होती।”
इस हमले ने यह सिद्ध कर दिया कि जिहादी मानसिकता के खिलाफ ‘सॉफ्ट टच’ नीति अब देशहित में नहीं है। अब आवश्यकता है निर्णायक कदमों की, जिससे कट्टरपंथ का खात्मा और घाटी में सनातन पुनर्जागरण सुनिश्चित हो सके।