कभी किसी समय की बात हुआ करती थी जब समाज का एक बड़ा वर्ग पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रो से न सिर्फ रोजगार के लिए बल्कि अन्य कई बुनियादी सुविधाओं के आभाव में पलायन हो कर शहरी इलाको में चला जाया करता था. उन बुनियादी सुविधाओ की श्रेणी में सबसे आगे स्वास्थ्य सेवा हुआ करती थी.
स्वतंत्रता के बाद देवभूमि हिमाचल प्रदेश में भी इस प्रकार की स्थिति लम्बे समय तक बनी रही लेकिन विगत 3 वर्षो में हिमाचल को आमूलचूल बदलाव की तरफ अग्रसर करते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अब स्वास्थ्य सेवाओं को भी और बेहतर के साथ अभूतपूर्व करने के लिए कमर कस ली है.
ज्ञात हो कि नये प्रयासों के चलते ये स्पष्ट होता दिख रहा है कि देवभूमि के मुख्यमंत्री का संकल्प इस दिशा की तरफ अग्रसर है कि अब कोई भी रोगी किसी भी स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता के लिए देवभूमि से बाहर जाने के लिए बाध्य न हो.. उच्च स्तर के साथ आम जनमानस के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवाएँ हिमाचल में मुहैया करवाने की दिशा में एक और प्रयास हिमाचल सरकार द्वारा किया गया है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से जानकारी देते हुए लिखा है कि - "आज हमने प्रदेश में नए चिकित्सा महाविद्यालयों के भवन निर्माण की प्रगति संबंधी समीक्षा बैठक बुलाई। हमने संबंधित अधिकारियों तथा क्रियान्वयन एजेंसियों को चिकित्सा महाविद्यालय परियोजनाओं के निर्माण में गुणवत्ता के साथ समयबद्ध पूर्ण करने निर्देश दिए हैं।".
उक्त बैठक में न सिर्फ चल रही परियोजनाओ को तय समय सीमा के अंदर ही पूर्ण करवाने के निर्देश दिए गये बल्कि गुणवत्ता के मनको को भी उच्चतम स्तर पर रखने को निर्देशित किया गया. यहाँ ये ध्यान रखने योग्य है कि चिकित्सा महाविद्यालयो के निर्माण के बाद हिमाचल प्रदेश के युवाओं का रुझान चिकित्सक बनने की तरफ अग्रसर होगा.
इसी के साथ अध्धयन उपरान्त उन्हें किसी अन्य प्रदेश में जा कर कार्य करने के बजाय अपने ही प्रदेश वासियों की सेवा करने व् स्वस्थ हिमाचल के साथ रोगमुक्त हिमाचल बनाने की प्रेरणा मिलेगी. फिलहाल सारांश में ये माना जा रहा है कि जल्द ही हिमाचल वासी स्वास्थ्य सेवाओ के दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर प्रदेश में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेंगे साथ ही वहां के युवा स्वयं को चिकित्सा सेवा की तरफ अग्रसर करेंगे.
देखिये इस आशय में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया ट्विट -