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बड़ा सवाल क्या वाक़ई संजय दोषी है या कंपनी ने सच को दबाने के लिए संजय का इस्तेमाल किया ??

मैंने कंपनी की सच्चाई को किया उजागर,Zivame ने सच को छुपाने के लिए मेरी छवि ख़राब करने की की कोशिश- संजय सोनी संजय सोनी (@cyber_Huntss)ने कहा कि मै उस दिन निश्चित हो गया था जब सारे अखबार और मिडिया वालो ने ट्रायल चला कर ये लिख दिया की "हिन्दुत्ववादी सजंय सोनी" लिख कर सम्बोधित किया। मतलब अखबार वालो को भी पता है की मे खुल कर सनातन धर्म पर बोलता हुँ। और अन्य वर्गों की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मै खुलकर बोलूंगा।

आशीष व्यास
  • Jun 28 2023 8:46AM
मैंने कंपनी की सच्चाई को किया उजागर,Zivame ने सच को छुपाने के लिए मेरी छवि ख़राब करने की की कोशिश- संजय सोनी संजय सोनी (@cyber_Huntss)ने कहा कि मै उस दिन निश्चित हो गया था जब सारे अखबार और मिडिया वालो ने ट्रायल चला कर ये लिख दिया की "हिन्दुत्ववादी सजंय सोनी" लिख कर सम्बोधित किया। मतलब अखबार वालो को भी पता है की मे खुल कर सनातन धर्म पर बोलता हुँ। और अन्य वर्गों की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मै खुलकर बोलूंगा। उनसे Zivame कंपनी द्वारा किए केस के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मै आपको पूरी घटना बताता हूँ- 29 तारीख NCW ने zivame को बुलाया तो कंपनी को बदनामी से बचाने के लिए बिना लिखित ऐप्लिकेशन दिए फोन कॉल पर मेरे खिलाफ कम्पलेन की और SOG जयपुर ने तुरन्त ऐक्शन लेकर 30 मिनट मे मुझे हॉस्पिटल के बाहर शाम 6:30, 7 बजे के बीच 8 ATS ने गेट के बाहर घेर लिया और बहाने से मेरी ट्विटर पर लोगो द्वारा फैलाई गयी फोटो दिखा कर पकड कर खीच कर साइड मे ले गये। जहां पर मेरे फोन को छीन लिया, मेरी गाडी की चाभी और सब छीन लिया मेरे बार-बार पूछने पर भी उन्होने कुछ नही बताया और जयपुर नम्बर की TUV गाडी मे बैठा दिया। मुझे किसी भी घर वाले से बात नही करने दिया। बैठा कर घर ले गये। रास्ते मे गाडी मे मारपीट करके जबरन मुझसे कबूल करवाना चाह रहे थे कि डाटा मैने हैक किया है, जिसको मैने बिना डरे जो सच था बताया और फिर घर ले गये जहा पापा मम्मी परेशान होकर हॉस्पिटल पहुंच गये थे क्योंकि मैं फाॅन नही उठा रहा था। इधर घर पहुंचा तो लाॅक देख कर पापा के नम्बर पर मुझसे काॅल करवाया डरा करके की किसके साथ हुॅ मत बताना और उन्हे घर बुला। मैंने पापा को जैसे ही काॅल किया तो कहा कि बस घर आ जाओ फोन पर कुछ नहीं बता सकता, तो वो घबरा गए और हास्पिटल से घर आये जहाँ से ATS नें मेरा लेपटोप भी अपने कब्जे मे लिया और बिना बताए जयपुर लेकर आ गये। Zivame का डाटा हैक करने वाला कुख्यात हैकर ने जिवामे कंपनी के टेक्निकली ऑफिसर मनीष कॉल को ब्लैकमेल कर लाखों रुपए लिए जब मनीष कॉल ने हैकर को पैसे देने से मना किया तो हेकर ने धमकी देकर डाटा लीक कर दिया और मैंने पब्लिक डोमेन पर डाटा है, यह लिखकर बताया कि हिंदू लड़कियों का डाटा बेचने के लिए उपलब्ध है जिस पर मैंने अपना धर्म निभाते हुए, मेरी हिंदू बहनों की निजता की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से सैंपल डाटा का स्क्रीनशॉट जो हैकर ग्रुप में उपलब्ध था वह पोस्ट किया । जिस पर कई बहनों और जागरूक समर्थकों द्वारा जीवामे कंपनी के खिलाफ कई शिकायतें/ f.i.r. अलग-अलग जगह हिंदू बहनों ने दर्ज करवाई l जिससे घबराकर जीवामे कंपनी और सनातनी हिंदू बीजेपी विरोधी ने आपराधिक षड्यंत्र रचा। देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि जीवामे कंपनी के बेंगलुरू स्थित सरवर से डाटा लीक होने पर भी जानकारी होने पर एसओजी एटीएस उदयपुर और जयपुर ऑफिस गिरफ्तार कर लेते हैं बिना किसी f.i.r. के l इसके बाद आतंकवादी निरोधक दस्ता, उदयपुर ने मुझे 29 तारीख को अवैध रूप से अपहरण कर टॉर्चर किया मेरे घर की तलाशी ली मेरे मोबाइल लैपटॉप की तलाशी ली इस पर जब कुछ भी ना मिला, तो आतंकवादी निरोधक दस्ते ने जयपुर एसओजी के अवैध रूप से मुझे उनकी हिरासत में दे दिया । जब एसओजी ने जांच की उनको भी जब मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं मिला तो फिर एसओजी ने साइबर क्राइम के हवाले मुझे किया । साइबर क्राइम वालों ने मेरे सभी सोशल मीडिया अकाउंट मोबाइल लैपटॉप सबकी जांच कर सारा डाटा रिट्रीव किया मेरे मोबाइल में ब्लूटूथ के थ्रू डाटा रिसीव ट्रांसफर किया । अगले दिन 30 तारीख को मेरे शुभचिंतकों द्वारा जब अनेकों प्लेटफार्म पर मेरी अपहरण व अवैध हिरासत के बाबत राजस्थान पुलिस के डीजी भारत सरकार की विभिन्न मंत्रालयों तक सभीने हिरासत अपहरण की शिकायत दर्ज करवाई तब आप सबकी मेरे सहयोग होने की शक्ति देखकर पुलिस घबरा गई और मेरे खिलाफ कोई मामला ना बनते हुए एक झूठा मामला सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का दर्ज किया। दर्ज करने का आधार दिनांक 18 मई को मेरे द्वारा ट्विट किया गया साईबर क्राइम SOG पुलिस ने 30 May की सुबह 9 बजे पूछताछ की जिसमे पूरा सहयोग कर सारी जानकारी दी। लेकिन 11 बजे कम्पनी से 6 लोग आए जिन्होने दबाव बनाकर मुझे SOG के अधिकारियो के सामने कबूल करवाना चाहा। मेरे मोबाइल को छान लिया लेकिन कुछ नही मिल पाया। तब SOG ने शाम को 4 बजे मारपीट, टॉर्चर कर मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश की। जिसमे सफल नही होने पर कम्पनी ने 30 मई की शाम 8:05 बजे FIR दर्ज कर मेरे ट्वीट मे "हिन्दु बहनो" का सम्बोधन करना कम्यूनल बता दिया और IPC की धारा 66, 295A और 153A लगा कर गिरफ्तार कर लिया। मुझे 3 दिन तक SOG ने किसी घर वाले से बात तक नही करने दी थी। उसके बाद मुझे 3 दिन तक पुलिस कस्टडी में रखा । मैंने जो जो सच था सब बताया और दिखाया भी, लेकिन इन्होंने जानकारियों को तोड़-मरोड़ कर प्रेसनोट के जरिए सारे न्यूज चैनल्स और अखबारों में प्रकाशित करवा दिया। जैसे कि इन्हें कुछ सबूत नहीं मिला तो सोशल मीडिया के जरिए जो जो चीजों से मुझे फंसा सके वो सब जानकारियां जुटा कर जांच को अलग ही रूप दे दिया। उन्होंने बताया कि विधि विशेषज्ञों और राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं के अनुसार उक्त ट्वीट के आधार पर 153A, 295A of ipc aur 166 IT Act का मामला बनता ही नहीं है l माननीय न्यायालय ने भी बिना किसी f.i.r. के अवैध हिरासत में आतंकवादी निरोधक दस्ते द्वारा रखना फिर बिना किसी विधिक कार्यवाही की जयपुर एसओजी को सौंपना एवं मुख्य कुख्यात हैकर द्वारा डाटा लीक करने और जीवामें कंपनी के अधिकारियों द्वारा उसको ब्लैक मेलिंग की मोटी राशि के लेनदेन की कोई जांच फाइल पर ना होने पर अवैध हिरासत एवं बाद में पुलिस हिरासत में अमानवीय यातनाएं देखकर सात खाली कागजों पर साइन करवाए गए। निर्दोष प्रमाणित करने हेतु तथ्यों के प्रस्तुतीकरण के आधार पर जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए l

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