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500 साल पुरानी है माँ घटवासन देवी की मूर्ति - नदी के किनारे पहाड़ी पर नवरात्रों में रहती है भक्तों की भीड़

टोडाभीम विधानसभा के गुढ़ाचंद्रजी कस्बे में नदी के किनारे पहाड़ी पर घटवासन देवी का भव्य मंदिर स्थापित है। प्राचीन मंदिर होने के साथ ये स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी अहम स्थान रखता है। यूं तो यहां वर्षभर श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन विशेष तौर पर रामनवमी व जानकी नवमी पर घटवासन देवी का मेला भरता है। इसमें हजारों श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर माता के दर्शन करने को पहाड़ी पर पहुंचते हैं।

आशीष व्यास
  • Sep 26 2022 1:03PM
टोडाभीम विधानसभा के गुढ़ाचंद्रजी कस्बे में नदी के किनारे पहाड़ी पर घटवासन देवी का भव्य मंदिर स्थापित है। प्राचीन मंदिर होने के साथ ये स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी अहम स्थान रखता है। यूं तो यहां वर्षभर श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन विशेष तौर पर रामनवमी व जानकी नवमी पर घटवासन देवी का मेला भरता है। इसमें हजारों श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर माता के दर्शन करने को पहाड़ी पर पहुंचते हैं। 500 वर्ष प्रचीन है देवी प्रतिमा पहाड़ी पर मां भगवती की करीब 500 वर्ष प्राचीन प्रतिमा है। इसके अलावा भैरव महाराज, क्षेत्रपाल महाराज, भोमियाजी महाराज व लांगुरिया की प्रतिमाएं हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि मां घटवासन देवी की प्रतिमा लगभग 500 वर्ष पूर्व पहाड़ी में चट्टानों के खिसकने से प्रकट हुई थी। बुजुर्गों के अनुसार गुढ़ाचंद्रजी में चौहान राजा के दरबार में सेवादार घाटोली गांव निवासी केसरी सिंह मेहर को देवी प्रतिमा के प्राकट्य भाव दिखा था। किवदंती घाटोली गांव से राजा के दरबार में जाने के दौरान घाटे वाली नदी के पास केसरी को स्त्री की आवाज सुनाई दी। केसरी जब वहां गया तो वहां देवी ने पहाड़ी पर मंदिर निर्माण की इच्छा जताई। गरीबी के चलते मंदिर निर्माण में केसरी ने असमर्थता जताई। इस पर देवी ने निर्माण में मदद करने की बात कही। मां भगवती घटवासन देवी के प्रति मीणा समाज के महर गोत्र के लोगों द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है। वर्ष में दो बार भरता है मेला यूं तो घटवासन देवी मंदिर में प्रत्येक माह की अष्टमी को मेले जैसा माहौल रहता है। प्रत्येक सोमवार को भी सैकड़ों श्रद्धालु मां के दरबार में ढोक लगाने आते हैं। लेकिन वर्ष में दो बार रामनवमी व जानकी नवमी को मां भगवती का विशाल मेला लगता है। जिसमें जयपुर, भरतपुर, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि स्थानों से श्रद्धालु आते है। मनौती पूर्ण होने पर मां के दरबार में लोग मालपुए की प्रसादी चढ़ाते हैं। मंदिर में 12 महीने रामायण पाठ, सवामणी, भंडारे आदि आयोजन होते रहते हैं। सावन भादो माह में देवी के दरबार में प्रदेश के अधिकांश जिलों से सैकड़ों पदयात्राएं आती है। रात को देवी का जागरण होता है। नवरात्रों में होती है घट स्थापना आज नवरात्र शुरू होने पर मंदिर परिसर में वैदिक मंत्र उच्चारणओं के साथ घट स्थापना हुई और 9 दिन तक माता रानी के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना का दौर रहेगा। वही भक्तों की भी आवाजाही विशेष रूप से रहेगी। जिससे माता के दरबार में मेला जैसा माहौल दिखाई देगा। समिति की अनूठी पहल ढाई दशक पहले तक मां का दरबार सीमित दायरे में था। लेकिन 2 वर्ष पहले मंदिर विकास कार्यों के लिए एक समिति का गठन किया गया। ये समिति मंदिर के विकास कार्यों में अनवरत लगी हुई है। समिति ने मंदिर के अंदर सौन्द्रर्यीकरण और विकास कार्य कराए हैं। मंदिर में मां भगवती का विशाल दरबार, यज्ञशाला, यात्री हाल, भंडारे के लिए रसोई घर, यात्रियों के लिए 3 दर्जन से अधिक कमरे, सामुदायिक भवन के निर्माण कराए गए हैं। समिति के प्रयासों से मंदिर पहुंचने के लिए सांसद व विधायकों की मदद से पुलों का निर्माण व अन्य कार्य कराए गए हैं। मंदिर के विकास कार्यों में पूर्ण भागीदारी निभाते हैं। समिति श्रद्धालुओं के लिए छाया, पानी, चिकित्सा, ठहरने करने की नि:शुल्क व्यवस्था करवाती है। इसके अलावा समिति जन सरोकार के कार्यक्रमों के तहत बालिका सम्मान समारोह,परेडा अभियान, पेड़ लगाने जैसे कार्यों में भी भूमिका निभाती है।

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