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नागरिकता जिहाद के जरिए जिहादी कर रहे हैं आपके अधिकारों पर हमला , सुदर्शन न्यूज़ का सबसे बड़ा खुलासा ।

नागरिकता जिहाद उत्तरप्रदेश तक हीं सिमित नहीं है बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र तक ये पूरा जाल फैला हुआ है

Ayush Mishra
  • Jun 12 2021 2:41PM

जिहादी साजिशों की महाघोटाले पर इसबार सुदर्शन न्यूज एक बड़ा खुलासा कर रहा है. इसबार हम एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा आपके सामने लेकर आयें है, जिसमे हम आपको बताएगें की कैसे C.A.A कानून आने के बाद से देशभर में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने की साजिश चल रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जन्म प्रमाण पत्र का नागरिकता की प्रमाण के लिए सबसे प्रभावी साबुत के रूप में इसकी स्वीकृति. 

C.A.A आने के बाद से मुसलमानों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की बाढ़ आगई है. ऐसे तो ये फर्जीवाड़ा देशभर में चल रहा है..मगर सबसे चौकाने वाला तथ्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से सामने आया है. अगर सिर्फ एक दिन की C.A.A से पहले और C.A.A के बाद की सैम्पल पर नजर डालें तो ये अपने आप में  चौकाने वाला तथ्य नजर आता है.

C.A.A से पहले और बाद के पंजीकरणों का विश्लेषण

  1. 28 अगस्त 2018 को यानी कि C.A.A से पहले का एक दिन के सभी पंजीकरणों का हमने विश्लेष्ण किया
  1. इसी प्रकार हमने 10 जनवरी 2020 यानी C.A.A के बाद एक दिन के सभी पंजीकरणों का विश्लेषण किया
  1. 28 अगस्त 2018 और 10 जनवरी 2020 के आकड़ें में जमीन- आसमान का अंतर सामने आया

 

अब यही आकड़े हम मुसलमानों के द्वारा कराए गए पंजीकरणों का दिखाते हैं. C.A.A आने के पहले एक दिन में एक नगरपालिका के अन्दर जहां पहले लगभग 14 मुसलमान पंजीकरण कराते थे, वहीँ C.A.A आने के बाद उसी नगरपालिका के अन्दर अब लगभग 85 मुसलमान लोग प्रतिदिन पंजीकरण करा रहे हैं. यानि 600 प्रतिशत की वृद्धि

इस षड्यंत्र से आपके क्षेत्र का डेमोग्राफी को बदला जा रहा है. आईये अब हम प्रयागराज के डेमोग्राफीकस पर नजर डालते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रयागराज में मुसलमानों की कुल जनसँख्या 20% थी. मगर C.A.A के बाद कराई गई पंजीकरणों के आकड़ों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि अब प्रयागराज में इनका अनुपात 40% तक हो गया है. CAA से पहले ये आकड़ा 16 प्रतिशत था. ऐसे में ये साबित होता है की कैसे प्रयागराज को एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बनाने का महा षड्यंत्र है? 

 

इस बेहताशा वृद्धि की जब सुदर्शन न्यूज ने पड़ताल की तो कई  चौकाने वाले तथ्य सामने आए. दरअसल फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने वाला रैकेट इसके पीछे काम कर रहा  है. ये विशाल रैकेट देश के कई शहरों में फैला हुआ है. इस रैकेट से जुड़े हुए कुछ मीडिया रिपोर्ट की बात करें तो 11 जनवरी 2020 को छपी टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश के कई सारे शहरों में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाएं जा रहे हैं.

ये सिर्फ उत्तरप्रदेश तक हीं सिमित नहीं है बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र तक ये पूरा जाल फैला हुआ है. मुस्लिम बाहुल्य राज्यों में ये खेल काफी तेजी से चल रहा है. लखनऊ में जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने वालों की संख्या में 3 गुना वृद्धि हुई है. इसेमें 40 से 60 साल तक के उम्र वाले लोग भी जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए फर्जीवाड़े का सहारा ले रहे हैं. लखनऊ नगर निगम में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण विभाग के रजिस्ट्रार के अनुसार जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने वालों की संख्या में पहले की तुलना में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है.

  प्रयागराज नगरनिगम में लिपिक अरुण कुमार जैन बताते हैं कि C.A.A के बाद लोगों ने सबसे ज्यादा जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन किये थे तो वहीं समाजवादी पार्टी के M.L.A रफीक अंसारी का कहना है कि उनके पास हर दिन 400 से 500 लोग निवास प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए आवेदन आ रहे है. आपको यहाँ बता दें की स्थानीय सांसद और विधायक जन्म एवं निवास को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत है. आब आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जब कोई आवेदनकर्ता इनके पास जाता होगा तो क्या वो खाली हाथ लौटता होगा ? हमारे माननीय खुद वोट की राजनीति में ठप्पा लगा हीं देते होंगे

 

 

 

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