सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

High Court : बच्चा पर किसका हक़? जन्म देने वाली या पालने वाली माँ का....मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हाईकोर्ट में जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आर हेमलता की पीठ ने मामले की सुनवाई कर आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने सलेम की बाल कल्याण समिति को परेशानहाल बच्ची को उसकी पालक मां सत्या को अविलंब सौंपने का निर्देश दिया। बच्ची को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच प्रशासन ने उसे समिति की देखभाल में रखवा दिया था।

Shanti Kumari
  • Nov 28 2021 4:19PM

जब किसी बच्चे को लेकर दो माएँ लड़ने लगे तो बच्ची किसके हवाले करना है इस विषय पर संशय बनी रहती है। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई औरत बच्चे को जन्म देकर उसे छोड़ देती है और कुछ समय पश्चात् आकर उस बच्चे पर अपना हक़ जताने की बात करती है। और ऐसे केस में ज्यादातर बच्चा उसके हवाले कर दिया जाता है जिसने पैदा किया हो। ऐसी ही खबर तमिलनाडु से आई है जहाँ में दस वर्ष की बच्ची को लेकर दो मां आमने-सामने आ गई हैं।

बता दें जिस बच्ची के लिए दोनों माँ की लड़ाई हो रही थी उसको जन्म देते ही उसकी माँ ने 100 दिन बाद अपनी ननद को गोद दे दिया था। फिर 10 साल बाद बच्ची को वापस मांगने लगी और ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि जन्म के कुछ दिन बाद से ही लालन-पालन करने वाली मां से बच्ची को अलग नहीं किया जा सकता, भले ही महिला ने उसे जन्म न दिया हो। लेकिन बच्ची को जन्म देने वाली मां, पिता और अन्य रिश्तेदार सप्ताह में एक बार उससे मिल सकेंगे।

हाईकोर्ट ने कहा है कि बच्ची उसी महिला के पास रहेगी जिसने उसे गोद लिया और दस साल से बतौर मां उसकी देखभाल कर रही है। बच्ची जन्म देने वाली मां सारण्या की दूसरी बेटी है जिसे उसने जन्म के 100 दिन बाद ही अपनी ननद (पति की बहन) सत्या को गोद दे दिया था। इसके बाद बच्ची दस साल से गोद लेने वाली मां सत्या के पास ही रह रही थी। हाईकोर्ट में जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आर हेमलता की पीठ ने मामले की सुनवाई कर आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने सलेम की बाल कल्याण समिति को परेशानहाल बच्ची को उसकी पालक मां सत्या को अविलंब सौंपने का निर्देश दिया। बच्ची को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच प्रशासन ने उसे समिति की देखभाल में रखवा दिया था।

दरअसल, विवाद की शुरुआत सत्या के पति रमेश की 2019 में कैंसर से मौत के बाद हुई। सारण्या ने सत्या से अपनी बेटी मांगी। जब मामला पुलिस थाने पहुंचा तो बच्ची को सलेम की बाल कल्याण समिति में रखवा दिया गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर बच्ची की सिपुर्दगी दिए जाने की मांग की। इसके बाद हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठने लगी। मामला सोशल मीडिया में छाया। तब हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर आदेश पारित किया है।

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार