ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट आज कमीशन कोर्ट को सौंपेगा। पिछले कल जानकारी मिली थी कि विवादित ढाँचे के अंदर 12 फिट का शिवलिंग मिला था। जिसके बाद से बहुत सी बातें साफ़ हो गई कि कैसे बर्षों पहले मंदिर को गिरा कर यहाँ विवादित ढांचा तैयार किया गया। भारत में आपको कई ऐसे स्थान मिलेंगे जहाँ इस्लामिक आक्रमणकारियों ने न सिर्फ भारत में लूटपाट की बल्कि हमारे कई हिन्दू मंदिरों को भी तोड़ा।
आयोध्या इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लेकिन पहले तो इस्लामिक आक्रमणकारी बाहर से आकर लूटपाट करते थे लेकिन अब हमारे देश में ही कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी लोग पैदा हो गए हैं जो सामने मिले ज्ञानवापी के सबूतों को मानने से इंकार कर रहे हैं। गलती को मान लिया जाए तो गलती कहलाती है लेकिन देख कर भी न देखना अपराध होता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर एक कुएँ से शिवलिंग मिला है, जिसे नमाजियों ने वजूखाना बना कर रख दिया था। अर्थात, वो वहाँ पर अपने हाथ-पाँव धो कर वर्षों से भोले बाबा को अपमानित कर रहे थे। संस्कृत में श्लोक से लेकर त्रिशूल और ॐ तक, ज्ञानवापी में अदालत के निर्देश पर हुए सर्वे में इतने सबूत मिले कि सब कुछ साफ़ हो गया।
इतिहास को खोल कर देखा जाए तो इन्हीं मंदिरों में से एक था पद्मेश्वर मंदिर, जिसे काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने ही बनवाया गया था। ऐसा विवरण मिलता है कि 14वीं शताब्दी के अंत तक वाराणसी पुनः अपने पुराने गौरव की तरफ लौटने लगा था।
200 वर्ष पूर्व ऐबक-गोरी के विध्वंस से लोग उबर चुके थे। बाहर से लोग भी यहाँ आकर बस रहे थे। बाद में गुरु नानक भी काशी की तीर्थयात्रा के लिए आए थे, लेकिन तुगलक के समय ही जैन आचार्य जिनप्रभ सूरी के भी काशी तीर्थाटन का विवरण मिलता है।