प्रभु श्री राम के मंदिर को लेकर चले संघर्ष और सुप्रीम कोर्ट तक की लंबी सुनवाई के बाद आए फैसले ने वर्तमान और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सीख दी है कि प्रभु श्री राम के मंदिर के लिए संघर्ष इसलिए हुआ क्योंकि ऐतिहासिक दस्तावेजों को साबित करना एक बड़ी चुनौती थी। इस निर्णय के बाद सीख लेते हुए यह तय किया गया है कि अब राम मंदिर के तथ्य व इसके इतिहास को ताम्रपत्र पर दर्ज करके मंदिर की नींव में 200 फीट नीचे टाइम कैप्सूल के माध्यम से रखा जाएगा ताकि भविष्य में मंदिर से जुड़े तथ्यों को लेकर कोई विवाद ना रहे। इस कैप्सूल में मंदिर का इतिहास और उससे जुड़े तथ्यों की जानकारी होगी। आगे आने वाले समय में यदि कभी ऐसी परिस्थितियां बनी जो मंदिर को लेकर विवाद हुआ तो इस कैप्सूल में राम जन्मभूमि से जुड़े तथ्य मिल जाएंगे।
क्या होता है टाइम कैप्सूल -
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जिसको विशिष्ट सामग्री से बनाया जाता है। टाइम कैप्सूल की बड़ी खासियत यह होती है कि वह है हर प्रकार के वातावरण में सुरक्षित रह सकता है। टाइम कैप्सूल पर किसी भी मौसम का प्रभाव नहीं होता टाइम कैप्सूल को जमीन के अंदर इतनी गहराई में गाना जाता है जिससे हजारों वर्ष तक उसको कोई नुकसान ना हो। विशेष धातु से बने होने के कारण टाइम कैप्सूल कभी ना सड़ता है ना गलता है।