चार माह की बछिया को संरक्षण देने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं भाजपा नीत सरकार
कानपुर के रतनलाल नगर इलाके में कुत्तों के हमले से घायल एक चार माह की बछिया की जान बचाकर उसकी माॅ से मिलाने के लिये चार छात्र नगर निगम और तमाम एनजीओ की चौखटों पर गुहार लगा रहे हैं लेकिन जख्मी व लावारिस गोवंश के प्रति कहीं से रहम की उम्मीद नहीं जागी है।
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क्या भाजपा नीत सरकार के कार्यकाल में ये एक बड़ी खबर नहीं है कि गोवंश संरक्षण के लिये बड़े बड़े दावे करने वाले सरकारी महकमें और एनजीओ एक चार माह की बछिया को संरक्षण देने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.कानपुर के रतनलाल नगर इलाके में कुत्तों के हमले से घायल एक चार माह की बछिया की जान बचाकर उसकी माॅ से मिलाने के लिये चार छात्र नगर निगम और तमाम एनजीओ की चौखटों पर गुहार लगा रहे हैं लेकिन जख्मी व लावारिस गोवंश के प्रति कहीं से रहम की उम्मीद नहीं जगी है।पन्द्रह मार्च दिन मंगलवार की रात लगभग ग्यारह बजे कुत्तों के हमलावर वाले अन्दाज में भौंकने का शोर सुनकर रतनलाल नगर की एसबीआई कालोनी में रहने वाले युवक रचित अग्रवाल ने घर से बाहर आकर देखा तो कुत्तों का झुण्ड एक छोटी से बछिया को घेर कर उसपर हमला बोले हुए था। कुत्तों ने उसकी टांग का काफी माॅस भी नोच लिया था। कुछ देर हो जाती तो कुत्ते उसे जिन्दा नोचकर खा जाते। रचित ने डण्डा लेकर कुत्तों को भगाया और पास जाकर देखा तो बछिया मरणासन्न अवस्था में पहुॅच चुकी थी। आधी रात के वक्त कहीं और से मदद न मिलती देखकर उसने अपने दोस्तों शिवम अरोड़ा, साहिल कपूर व अन्य को फोन करके बुलाया और बछिया का इलाज शुरू किया। रचित अग्रवाल कानपुर चिड़ियाघर के अस्पताल में वालन्टियर हैं तो वहाॅ से मिला प्रशिक्षण घायल गोवंश की जान बचाने के काम आया। सभी दोस्तों ने मिलकर चन्दे से रकम जुटाई और इलाज के लिये दवा और इन्जेक्शनो का जुगाड़ किया। सिप्लाडिन व न्यूस्प्रिन पाउडर से मरहम पट्टी के बाद बछिया को एण्टी रैबीज और एण्टी बायटिक इन्जेक्शन देकर कुत्तों के काटने से हुआ संक्रमण खत्म किया गया।अब बारी थी बछिया को उसकी माॅ से मिलाने की। पूरी रात खोजबीन के बाद भी पता नहीं चल सका कि किसकी गाय की ये बछिया है। पशु प्रेमी मित्र मण्डली ने कानपुर नगर निगम के कंट्रोल रूम को फोन करके बछिया को गौशाला के संरक्षण में लेने की गुहार लगायी। इसके बाद इस्कान मन्दिर द्वारा संचालित गौशाला प्रबन्धन से भी सम्पर्क किया गया लेकिन अभी तक उन्हें सभी जगहों से निराशा हाथ लगी है।फिलहाल सभी चारों दोस्त अभी तक बछिया को अपनी देखभाल में रखे हुए हैं लेकिन उनके लिये हमेशा के लिये ऐसा करना मुमकिन नहीं हैं और गली कुत्तों को उस क्षण का इन्तजार है जब बछिया बाहर छोड़ी जाय और वो उसे अपना निवाला बना सके।गोवंश संरक्षण के लिये बड़े बड़े दावे करने वाले सरकारी महकमें और एनजीओ एक चार माह की जख्मी बछिया को संरक्षण देने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, क्या भाजपा नीत सरकार के कार्यकाल में ये एक बड़ी खबर नहीं है?
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