(इनपुट - शैलेन्द्र पांडे, लखनऊ)
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। तीन महीने से ज्यादा वक्त में तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर डटे किसान टस से मस नहीं हुए हैं। इस आंदोलन में 250 किसानों की मौत हो गई है। पूरे देश में किसानों में गुस्सा हैं। किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है। हालत यह है कि गेहूं की एमएसपी 1975 रूपये प्रतिकुंतल हैं। इस हिसाब से तो किसान की लागत भी नहीं निकल रही है। मजबूरन कर्ज लेकर बदहाली में जिंदगी जीने वाला किसान अंततः आत्महत्या करने को ही मजबूर हो जाता है।
भाजपा पर हमलावर अखिलेश ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी में गुड़ महोत्सव का खूब प्रचार किया लेकिन जब गन्ना किसानों का बकाया देने का मौका आया तो सरकार ऊंघने लगी है। गन्ना किसानों को न एमएसपी मिली, नहीं 14 दिन में गन्ने का भुगतान हुआ। बकाये पर ब्याज का तो सवाल ही नहीं। किसान की आय दुगनी होने का दूर-दूर तक सम्भावना नहीं। सच तो यह है कि किसान की जो आमदनी थी, भाजपा सरकार में वह भी खत्म हो गई। भाजपा कम्पनी शासन थोपना चाहती है, इसी तरह ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जरिए अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया था। इसका जवाब जनता सन् 2022 में देगी।
सपा मुखिया यही नहीं रुके आगे उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार के हवा हवाई वादे का परिणाम पिछले 4 साल से किसान भुगत रहे हैं। हमीरपुर के राठ में कर्ज से परेशान किसान मजदूर ने जान दे दी। रायबरेली में कर्ज तले दबे किसान ने आत्महत्या की। भाजपा द्वारा कर्जमाफी का वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है जिसके कारण अब तक प्रदेश में हजारों किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। भाजपा जो कहती है करती नहीं इसलिए किसानों का भरोसा भाजपा से उठ गया है।