इनपुट- संदीप मिश्रा, लखनऊ
एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अस्पतालों में मरीज को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर लापरवाही बरत रहे हैं जिससे मरीजों को सही समय पर इलाज मिल ही नहीं पा रहा है. इससे सरकार की किरकिरी भी हो रही है. लगातार अस्पतालों में अव्यवस्थाओं को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर होता है.
ऐसे लापरवाह डॉक्टर जो रोगियों का इलाज करने के बजाय लंबे समय से ड्यूटी पर ही गैरहाजिर हैं उन पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने हाल ही में बड़ी कार्रवाई की थी. उन्होंने 17 चिकित्साधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के साथ ही तीन चिकित्सकों पर अनुशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रोज बड़ी संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. लखनऊ के चिनहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आसपास से सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग बीमारियों का उपचार कराने के लिए महिला, पुरुष और बच्चे पहुंचते हैं.
यहां पर तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक विनय कुमार मिश्रा हर रोज स्टॉफ के साथ बैठक कर समय पर उपस्थित रहने के साथ ही बेहतर इलाज मुहैया कराने की कोशिश करते हैं. उन्होंने जब से यहां पर कामकाज संभाला है तबसे अस्पताल में जिन उपकरणों की कमी थी जिससे मरीजों को इलाज मिलने में दिक्कत आ रही थी उन उपकरणों को अस्पताल में लाने का प्रयास किया. अस्पताल का रिनोवेशन चल रहा है जिससे मरीजों को भविष्य में और भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक विनय कुमार मिश्रा बताते हैं कि वैसे तो आमतौर पर सीएचसी में दो ही दिन टीकाकरण होता है लेकिन हमने अपने यहां बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हर दिन करने का फैसला लिया. हमारे यहां रविवार को भी टीकाकरण किया जाता है.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सलाह देते हैं कि वैसे तो टीकाकरण अभियान समय समय पर चलता है तब एनम घर-घर जाकर टीकाकरण करती हैं लेकिन मेरा मानना है कि टीकाकरण सही समय पर होना चाहिए. ऐसे में अस्पताल आकर समय पर टीकाकरण कराएं. सीएचसी में जो भी विशेषताएं होनी चाहिए, जिनमें गायनी, पिड्रियाटिक, जनरल मेडिसिन, आई, डेंटल हमारे अस्पताल में प्रतिदिन चलता है. हमारे यहां सिजेरियन की भी पूरी व्यवस्था है.
सीएमएस विनय कुमार मिश्रा बताते हैं हर रोज चिनहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 500 के करीब मरीज आते ही आते हैं. सीजनल बीमारियों के दौरान संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है. उनका कहना है कि वैसे तो सीएचसी पर जो दवाइयां सप्लाई होती हैं वह सारी दवाइयां मरीजों को उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी दवाइयां होती है जिनकी सप्लाई नहीं होती है और मरीज रिक्वेस्ट करता है. डॉक्टर को पता होता है कि मरीज के फेवर में कौन सी दवाई सही रहेगी और मार्केट में कौन सा नया साल्ट आया है जो अस्पताल में सप्लाई नहीं होता है. मरीज के अनुरोध पर बाहर खरीदने के लिए दवा लिखी जाती है. उनका कहना है कि सरकार मरीजों को बेसिक अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रयासरत है. अगर मरीज को बेसिक अस्पताल में कुछ सुविधाएं कम मिल रही हैं तो इसीलिए सरकार ने आयुष्मान कार्ड की व्यवस्था की है. इससे मरीज अपना इलाज और भी अच्छे अस्पताल में करा सकता है तो मेरा मानना है कि सरकार लगातार लोगों के स्वास्थ्य को लेकर फिक्रमंद है.