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सेना में अमान्य करार दी गई शास्त्री की डिग्री जबकि मदरसे वाले छात्र बन सकेंगे धर्म शिक्षक.. फैसले के खिलाफ आक्रोशित संत समाज

आपको बता कि भारतीय सेना में धर्म शिक्षकों की भर्ती में शास्त्री डिग्री धारक विद्यार्थी भी योग्य माने जाते थे, लेकिन बीते दिनों सेना मुख्यालय से जारी एक पत्र में शास्त्री डिग्री को स्नातक के समक्षक न मानते हुए शास्त्री डिग्री धारकों को धर्म शिक्षक (आरटी जेसीओ) पद के अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 8 2022 9:29PM

एक तरफ जहाँ मदरसा बोर्ड के छात्रों को सेना में जगह दी गई। वहीँ दूसरी तरफ शास्त्री डिग्री वालों को धर्म शिक्षक के लिए रोक लगा दिया गया है। जिसका संत समाज विरोध कर रहा है और सुदर्शन भी इसका विरोध करता है क्योंकि शास्त्री की डिग्री को अमान्य घोषित कर संस्कृत पर कुठाराघात किया गया है। आपको बता दें सेना के धर्मगुरु की परीक्षा में शास्त्री डिग्री धारकों को बाहर किए जाने का काशी के विद्वत समाज ने विरोध किया है। काशी के विद्वानों का कहना है कि शास्त्री की डिग्री को अमान्य किया जाना संस्कृत पर कुठाराघात है। काशी विद्वत परिषद और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से रक्षामंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया गया है।

आपको बता कि भारतीय सेना में धर्म शिक्षकों की भर्ती में शास्त्री डिग्री धारक विद्यार्थी भी योग्य माने जाते थे, लेकिन बीते दिनों सेना मुख्यालय से जारी एक पत्र में शास्त्री डिग्री को स्नातक के समक्षक न मानते हुए शास्त्री डिग्री धारकों को धर्म शिक्षक (आरटी जेसीओ) पद के अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

छात्रों का कहना था कि आरटी जेसीओ परीक्षा की भर्ती प्रक्रिया के क्रम में हम लोगों का फिजीकल, मेडिकल डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराया गया है, लेकिन मुख्य परीक्षा में शास्त्री डिग्री धारकों को स्नातक के समक्षक न मानकर भर्ती प्रक्रिया से वंचित किया जा रहा है। यहीं नहीं उन्हें मुख्य परीक्षा का प्रवेश पत्र भी प्राप्त हुआ है, लेकिन प्रवेश पत्र जारी होने के बाद सेना मुख्यालय से एक पत्र जारी होता है कि शास्त्री के डिग्री धारकों को परीक्षा से वंचित किया जाता है। उनका कहना था कि इसके पहले शास्त्री के डिग्री के आधार पर ही सेना में धर्म शिक्षक (आरटी जेसीओ) की भर्तियां होती रही है।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि परिषद की बैठक में सेना द्वारा धर्मगुरु की परीक्षा में शास्त्री उपाधि धारकों को बाहर किए जाने पर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। इससे संस्कृत भाषा प्रेमियों तथा संस्कृत जगत के विद्वानों में रोष है कि पारंपरिक विषयों के साथ इस तरह का अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रो. द्विवेदी ने रक्षामंत्री को लिखे गए पत्र में शास्त्री उपाधिधारकों को परीक्षा में शामिल किए जाने की मांग की है। कहा कि भारत के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों में यूजीसी द्वारा शास्त्री बीए के समकक्ष और आचार्य एमए के समकक्ष मान्यता प्राप्त है। बावजूद इसके सेना में शास्त्री के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव का रवैया अनुचित है।

 

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