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सूर्य नमस्कार से आहत हुआ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड...मुस्लिम छात्र छात्राओं को सूर्य नमस्कार से दूर रहने का निर्देश

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वर्तमान सरकार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक सम्प्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने की कोशिश कर रही है।

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 4 2022 1:13PM

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फिर से सेक्युलर मानसिकता वालों के गाल पर तमाचा मारा है। सेक्युलर-सेक्युलर का गुणगान करने वालों को एक और झटका मिला है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अब स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम आयोजित किए जाने के निर्देश का विरोध शुरू किया है। इस्लाम में सूर्य नमस्कार को हराम बताया है। सूर्य नमस्कार एक योग साधना का रूप है जिससे शारीरिक तथा मानसिक शक्ति मिलती है।

लेकिन अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां पर बहुसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है। इस बयान से आप समझ सकते है की यह आखिर कैसी विचारधारा है सूर्य नमस्कार को हिन्दू धर्म थोपना जैसा बताया जा रहा है। मौलाना  ने सूर्य नमस्कार कार्यक्रम से मुस्लिम छात्र-छात्राओं को दूर रहने की हिदायत दी है।   

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वर्तमान सरकार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक सम्प्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने की कोशिश कर रही है। जैसा कि साफ है कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का फैसला किया है, जिसमें 30 हजार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। 1 जनवरी से 7 जनवरी तक ये कार्यक्रम प्रस्तावित है। 26 जनवरी को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है। ये असंवैधानिक और देश-प्रेम का झूठा प्रचार है।

उन्होंने आगे कहा कि सूर्य नमस्कार सू्र्य की पूजा का एक रूप है. इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं इसलिए सराकर का ये फर्ज है कि वो ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे।

उन्होंने मुस्लिम छात्र-छात्राओं से आह्वान किया है कि वह स्कूलों में आयोजित होने वाले सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम का बहिष्कार करें और उसमें बिल्कुल भी शामिल नहीं हों। उन्हें इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से बचना चाहिए क्योंकि इस्लाम उन्हें इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं देता है। 

उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में शामिल होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना जरूरी है।

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