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धर्मांतरण जिहाद: हिंदुओं को मुसलमान बनाने की पॉलिसी बना रखी थी उमर गौतम ने ... नाम दिया था 'दावत से इस्लाम तक'

दावत से इस्लाम का मतलब ये है कि धर्मांतरण के लिए पहले गेट टू गेदर के जरिये मिलना और फिर इस्लाम को लेकर मोटीवेशनल स्पीच के जरिये लोगोंं का दिल जीतना तथा उन्हें मुसलमान बनाना

Abhay Pratap
  • Jun 25 2021 5:59PM

UP ATS की गिरफ्त में इस्लामिक मौलाना धर्मांतरण को लेकर चौंकाने वाले राज उगल रहा है. धर्मांतरण जिहाद की फैक्ट्री का सरगना उमर गौतम योजनाबद्ध तरीके से हिंदुओं को मुसलमान बनाने का अभियान चला रहा था. इसके लिए उसने बाकायदा एक पॉलिसी बना रखी थी, जिसका नाम उसने "दावत से इस्लाम" तक रखा था. इसी पॉलिसी के तहत वह धर्मांतरण का रैकेट चला रहा था.

सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक़, उमर गौतम ने धर्मांतरण के लिये रिवर्ट पॉलिसी बनाई थी, जिसके तहत ये कहा जाता था कि हर इंसान इस्लाम धर्म में जन्म लेता है, लेकिन किसी कारण बस वो दूसरे धर्म में चला जाता है. इसलिए revert के जरिये उन्हें फिर से इस्लाम धर्म में वापस लाना ही उसका काम है. उमर गौतम ने कबूला है कि दावत से इस्लाम का मतलब ये है कि धर्मांतरण के लिए पहले गेट टू गेदर के जरिये मिलना और फिर इस्लाम को लेकर मोटीवेशनल स्पीच के जरिये लोगोंं का दिल जीतना. दावत का ये भी मतलब है कि लोगों का दिल जीत लो.

इस पॉलिसी के तहत हिंदुओं को पहले गीता पढ़ाई जाती है और उसके बाद कुरआन. फिर दोनों का अंतर बताया जाता है. इसके बाद हिंदू धर्मग्रंथ गीता के बारे में अपने तरीके से व्याख्या कर उसकी कमियों को बताया जाता है. उसके बाद मुस्लिम ग्रंथ हदीस पढ़ाया जाता है. हदीश पढ़ाने के बाद पूरी तरह से ब्रेन वॉश किया जाता है और फिर धीरे-धीरे इस्लाम के प्रति आकर्षित कर लिया जाता है तथा उसको मुसलमान बना दिया जाता है.

उमर गौतम ने मूक बधिर छात्रों के धर्मांतरण का एक विशेष अभियान चलाया हुआ था. मूक-बधिर को टारगेट करने के पीछे मकसद ये होता था कि ये ना तो बोल सकते है ना ही सुन सकते है. ये सर्फ साइन भाषा ही समझते हैं. ज्यादातर लोग साइन भाषा नहींं समझते हैं. इन लोगों को उनके परिवार के प्रति भी नफरत का बीज बोया जाता है. उनको समझाया जाता है कि तुम मूक-बधिर हो तुम्हारी शादी घरवाले नहीं करवाएंगे. कोई भी लड़की तुम से शादी नहीं करेगी अगर तुम इस्लाम कबूल करोगे तो तुम्हारी शादी एक अच्छी लडकी से करवाएंगे.

इनसे कहा जाता है कि समाज में ना तो कोई नौकरी देगा और ना ही पैसे. हम तुम्हे पैसे भी देंगे ओर शादी भी करवा देंगे. इस्लाम धर्म मजबूती से रखेगा. जबकि हिन्दू धर्म से ये संभव नहीं है.  डेफ सेंटर में साइन लैंग्वेज सिखाने वाले टीचर को पैसे की लालच देकर अपने धर्मान्तरण के मिशन के साथ जोड़ देते थे. टीचर्स के माध्यम से मूक बधिर छात्रों का इस्लाम धर्म अपनाने के लिए ब्रेन वाश किया जाता है. अधिक से अधिक लोगों का धर्मांतरण कर इस्लाम धर्म की संख्या को बढ़ाना एकमात्र लक्ष्य था. इसके लिए इस्लामिक देशों से उमर गौतम की संस्था की मदद की जा रही थी.

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