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NEET PG 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, परीक्षा पर रोक की मांग

यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) ने अपने अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल के माध्यम से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है।

Deepika Gupta
  • May 2 2025 3:51PM

यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) ने अपने अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल के माध्यम से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। यह याचिका अधिवक्ता सत्याम सिंह राजपूत के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) द्वारा NEET PG 2025 परीक्षा को दो अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित करने के निर्णय को चुनौती दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस याचिका में मांग की गई है कि देशभर में परीक्षा एक ही समान सत्र में करवाई जाए।

UDF की ओर से अधिवक्ता सत्याम सिंह राजपूत ने कहा, "NEET PG को दो शिफ्टों में अलग-अलग प्रश्नपत्रों के साथ आयोजित करने से कठिनाई स्तर में अंतर उत्पन्न होता है, जिससे अभ्यर्थियों को असमान मूल्यांकन का सामना करना पड़ता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो कानून के समक्ष समानता और निष्पक्ष अवसर का अधिकार प्रदान करते हैं।"

UDF के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा, "हमारा संगठन हजारों मेडिकल प्रोफेशनल्स और NEET PG अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व करता है, जो NBE द्वारा अपनाई गई मनमानी और अपारदर्शी 'नॉर्मलाइज़ेशन प्रक्रिया' से चिंतित हैं। यह प्रक्रिया AIIMS दिल्ली से ली गई है, जो कि एक कंटेंट-हेवी, मेमोरी-बेस्ड परीक्षा जैसे NEET PG के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है।"

याचिका में उठाए गए मुख्य मुद्दे

1. असमान परीक्षा प्रक्रिया: अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने से कठिनाई स्तर में अंतर उत्पन्न होता है, जिससे केवल शिफ्ट आवंटन के आधार पर छात्रों को अनुचित लाभ/हानि होती है।

2. त्रुटिपूर्ण नॉर्मलाइज़ेशन पद्धति: NBE द्वारा अपनाई गई सांख्यिकीय प्रक्रिया में पारदर्शिता, सार्वजनिक परामर्श, या विशेषज्ञ समीक्षा की कमी है।

3. पिछली विसंगतियाँ: NEET PG 2024 को भी दो शिफ्टों में आयोजित किया गया था, जिसमें परिणामों को लेकर व्यापक शिकायतें आईं जो अब तक हल नहीं हुई हैं।

4. सांख्यिकीय भ्रांतियाँ: नॉर्मलाइज़ेशन फार्मूला इस गलत धारणा पर आधारित है कि सभी शिफ्टों का कठिनाई स्तर और अभ्यर्थियों की क्षमता समान होती है।

5. पारदर्शिता की कमी: अभ्यर्थियों को न तो रॉ स्कोर, न ही शिफ्ट-वार कठिनाई सूचकांक, और न ही प्रक्रिया की निष्पक्षता जांचने की कोई प्रणाली दी जाती है।

UDF द्वारा सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में 96% NEET PG अभ्यर्थियों ने परीक्षा को एक ही शिफ्ट में कराने का समर्थन किया।

अधिवक्ता राजपूत ने कहा, "परास्नातक चिकित्सा शिक्षा का अधिकार, जीवनयापन और गरिमा के अधिकार (अनुच्छेद 21) का अभिन्न हिस्सा है। असंगत और अप्रमाणित विधियों का उपयोग चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता है और योग्य अभ्यर्थियों को निष्पक्ष अवसर से वंचित करता है।"

याचिका में यह मांग की गई है कि NEET PG 2025 परीक्षा को एक समान सत्र में आयोजित करने का निर्देश दिया जाए और अंतिम निर्णय आने तक 15 जून 2025 को प्रस्तावित परीक्षा पर अंतरिम रोक लगाई जाए।


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