हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय (मुरुगन स्वामी) को समर्पित होता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। आज यानी 2 मई 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ स्कंद षष्ठी व्रत मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, मुरुगन या सुब्रमण्यन के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंद षष्ठी हर माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। तो जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
रोली, चावल, पुष्प, धूप, दीपक, नारियल, फल, एवं मिष्ठान्न आदि अर्पित करें।
स्कंद षष्ठी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
'ॐ स्कन्दाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
भगवान को गुड़-चने, केला, नारियल और पंचामृत का भोग लगाएं।
दिनभर उपवास रखकर शाम को पुनः आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी तिथि 2 मई 2025 को प्रातः 05:16 बजे से शुरू होकर 3 मई को सुबह 03:42 बजे तक रहेगी। अतः व्रत एवं पूजन 2 मई को करना श्रेष्ठ माना गया है। पूजा का उत्तम समय: दोपहर 12:15 बजे से 1:05 बजे तक (अभिजीत मुहूर्त)।
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय को शक्ति और युद्ध के देवता माना जाता है। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने दानव तारकासुर का वध किया था। इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से भक्तों को संतान सुख, रोग मुक्ति और जीवन में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से दक्षिण भारत में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।