लखीमपुर में हुई हिंसा ने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया बल्कि कई नए सवाल भी उठाये है. एक तरफ जहाँ किसान संगठनों के चार लोगो ने जान गंवाई वही दूसरी ओर बीजेपी के 4 कार्यकर्ताओ ने भी जान गंवाई.
लेकिन अब इस खूनी बवाल के तार 'खालिस्तान' से जुड़ने लगे है। कथित तौर पर कुछ चश्मदीदों का कहना है कि वहां मौजूद भीड़ ने न सिर्फ खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए बल्कि तलवारे भी लहराई। इस बात से अब सवाल ये उठता है की आखिर लखीमपुर खीरी में खालिस्तान समर्थक कहा से आये, और क्या ये हिंसा करना पहले से ही सुनियोजित था?
चश्मदीद बोला-भीड़ ने लगाए खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
वहां पर मौजूद चश्मदीद सुमित जायसवाल ने बताया कि जिस समय ये घटना हुई वो एक खतरनाक मौत का मंजर था. उन्होंने कहा कि हम डिप्टी सीएम का स्वागत करने जा रहे थे लेकिन अचानक लोगों ने हमला कर दिया. सुमित ने कहा कि यदि वो मुझे पकड़ लेते तो मैं जिंदा आपके सामने नहीं होता, मेरी भी हत्या कर दी जाती. वहां पर लोग हाथों में तलवार और अन्य हथियार लहराते हुए खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे.
आशीष मिश्रा को जान से मारने के लिए ढूंढ रहे थे लोग : चश्मदीद
दरअसल, एक मीडिया चैनल की रिपोर्टस के मुताबिक लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद चश्मदीद ने बताया कि हमलावर गाड़ियों में मंत्री जी के बेटे आशीष मिश्रा को तलाश रहे थे, अगर वे गाड़ी में होते तो जिंदा नहीं बच पाते. मैं भी अपनी जान बचाने के लिए मौके से भाग निकला.
सुमित ने बताया कि हम लोग जब जा रहे थे तो भीड़ ने सामने से हमला किया और हथियारों से मारना शुरू कर दिया. उन सभी लोगों के हाथ में तलवार, लाठी, डंडा लेकर हम लोगों की गाड़ी पर अटैक कर रहे थे, वे हमें जान से मारना चाहते थे. साथ ही चारों ओर मौजूद भीड़ खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रही थी. इसी दौरान मैं वहां से भाग निकला और अपनी जान बचाई. फिलहाल इस मामले में हमने केस दर्ज करवाया है.