कर्नाटक से धर्मांतरण के मामले लगातार आ रहे है। अगर आसान भाषा में कहें तो कर्नाटक में मिशनरी लगातार अपने पांव पसार रहा है। और लगातार धर्मांतरण के प्रयास किए जा रहे हैं। आपको बता दें की इसके रोकथाम के लिए बोम्मई सरकार कठोर कदम उठाने जा रही है मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सरकार राज्य में जबरन मतांतरण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने हेतु धर्मांतरण विरोधी कानून लाएगी। उन्होंने कहा, “सरकार देश में विभिन्न राज्यों द्वारा इस संबंध में लागू कानूनों का अध्ययन कर रही है। इस संबंध में जल्द ही कर्नाटक में कानून लागू किया जाएगा।”
भाजपा विधायक गूलीहट्टी शेखर ने मानसून सत्र के दौरान धर्म परिवर्तन का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनकी माँ को उनकी जानकारी के बिना परिवर्तित किया गया था। यही नहीं, ईसाई मिशनरी मतांतरण गतिविधियों पर सवाल उठाने वाले लोगों पर झूठे अत्याचार और बलात्कार के आरोप लगवा देते थे। हालाँकि, सोमवार को भाजपा विधायक की माँ सहित चार परिवारों ने ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में वापसी की।
शेखर ने मीडिया से बातचीत में बताया, “मेरी माँ सहित चार परिवार के सदस्यों ने ईसाई धर्म का पालन करने के बाद घर वापसी की है। इन्होंने आखिरकार अपनी गलती सुधार ली है।” उन्होंने बताया हिंदू धर्म में वापसी करने वालों ने आज मंदिर में पहले पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने अपने फैसले पर खुशी व्यक्त की। पूर्व मंत्री का कहना था कि इन लोगों को बहला-फुसलाकर इनकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया, लेकिन अब इन्होंने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है।
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण समिति की बुधवार को विकास सौधा में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। विधायक गूलीहट्टी शेखर, पुत्तरंगा सेट्टी, बीएम फारूक, विरुपाक्षप्पा बेल्लरी, अशोक नाइक और अन्य ने बैठक में भाग लिया और मामले पर चर्चा की। समिति ने मिशनरियों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं और ईसाई मिशनरियों के रजिस्ट्रेशन पर भी चर्चा की। समिति के सदस्यों ने मतांतरण करने वालों की सरकारी सुविधाएँ वापस लेने का सुझाव दिया। भाजपा विधायक गूलीहट्टी शेखर ने कहा कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, राज्य में चल रहे 40 प्रतिशत चर्च अनौपचारिक हैं। इस संबंध में आँकड़े जुटाए जा रहे हैं।