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Ganesh Chaturthi 2020: जानें गणेश मूर्ति स्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद पूरे दस दिन उसकी पूजा की जाती है और आखिरी दिन इस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

Abhishek Lohia
  • Aug 21 2020 12:52AM

कोरोना संकट के बीच देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम है। कोरोना से बचने के एहतियात और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग गणेश चतुर्थी की तैयारी में जुटे हैं। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यह त्योहार महाराष्ट्र में धूम-धाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद पूरे दस दिन उसकी पूजा की जाती है और आखिरी दिन इस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 21 अगस्त से शुरू होकर 30 अगस्त  तक मनाया जाएगा, जिसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को 10वें दिन विसर्जित किया जाएगा है। शास्त्रों के अनुसार, श्रीगणेश की प्रतिमा की 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक पूजा करने के बाद उसका विसर्जन करते हैं।

 
 

भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त...

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 21 अगस्त दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 02 मिनट से हो रही है। यह तिथि 22 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। गणेश चतुर्थी पर गणेश चतुर्थी की पूजा दोपहर के मुहू्र्त में ही पूजा की जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था। ऐसे में 22 अगस्त के दिन गणपति जी की पूजा के लिए दोपहर में 02 घंटे 36 मिनट का समय है। दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट के मध्य गणपति जी की पूजा कर लें।

भगवान गणेश की पूजा में इन सामग्री का करें उपयोग...

सुबह जल्दी उठकर गणेश चतुर्थी के दिन सोने, चांदी, तांबे और मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करें। उन्हें 21 लड्डुओं या मोदक का भोग लगाएं। पूजा के दौरान लाल रंग की चौकी, जल भरा कलश, लाल रंग का कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चंदन, शुद्ध जनेऊ के साथ गंगाजल, सिंदूर चांदी का वर्क और लाल फूल का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर लें, लेकिन भगवान को भोग लगाते समय उनका पसंदीदा मोदक जरुर लें।

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