अगले साल होने वाले UP Assembly Election के लिए सभी पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी जहां अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है तो वहीं विपक्षी पार्टियाँ योगी को हराने के लिए मुस्लिम वोटों पर नजर जमा रही हैं. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अल्पसंख्यक वोटों पर खास ध्यान दे रही है. मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस लगातार इस्लामिक उलेमाओं के साथ बैठकें कर रही है.
कोरोना महामारी के कारण इस्लामिक उलेमाओं के साथ की जा रहीं इन वर्चुअल मीटिंग का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम का कहना है कि कांग्रेस ने राज्य में करीब दो लाख मदरसों की पहचान की है. इनके सभी उलेमाओं के साथ लगातार चर्चा की जा रही है. उनकी जरूरतों को सुना जा रहा है, जिससे कांग्रेस के घोषणा पत्र में इसे जगह दी जा सके.
शाहनवाज आलम ने कहा कि सभी उलेमा कांग्रेस को समर्थन कर रहे हैं. उन सभी को प्रियंका गांधी पर विश्वास है. उन्होंने कहा कि मुद्दा जाहे जो भी हो, मुश्किल समय में प्रियंका हमेशा उनके साथ खड़ी रही हैं. वहीं यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कांग्रेस चुनाव के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है. अल्पसंख्यकों(मुस्लिमों) से लगातार बात की जा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि एसपी और बीएसपी को खई बार मौका दिया गया लेकिन उन्होंने जनता के लिए कुछ भी नहीं किया. अजय लल्लू ने भरोसा जताया कि अब प्रियंका के नेतृत्व में यूपी में कांग्रेस की सरकार बनेगी.
ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस पार्टी ये मान चुकी है कि गोत्र बताने, जनेऊ दिखाने, मंदिर मंदिर जाने से उसे कोई सियासी लाभ नहीं होने जा रहा है? क्या इसी कारण कांग्रेस पार्टी के बार फिर से पुराने ढर्रे पर लौट मुस्लिम वोटबैंक को लुभाने की कोशिशों में जुट गई है? खैर कांग्रेस को इसमें कितनी सफलता मिलेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.