जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल 2025) को हुए आतंकी हमले के बाद पूरे क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों की जांच तेज हो गई है। इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही है और अब तक कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं। जांच में यह सामने आया है कि आतंकी हमले से पहले ही हमलावर बैसरन इलाके में दाखिल हो चुके थे। जानकारी के अनुसार, ये आतंकी 15 अप्रैल 2025 को पहलगाम पहुंच गए थे और हमले से दो दिन पहले ही बैसरन घाटी में देखे गए थे।
बैसरन के अलावा, आतंकियों का मकसद पहलगाम के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों, आरू घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बेताब घाटी को भी निशाना बनाना था। इन सभी स्थानों की रेकी पहले से की जा चुकी थी। हालांकि सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण ये अपने इरादों में सफल नहीं हो सके।
जांच में अब तक लगभग 20 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से कई को हिरासत में लिया गया है। जानकारी के अनुसार, चार OGWs ने आतंकियों को इन स्थानों की रेकी करने में मदद की थी।
इस आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने प्रदेशभर में संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखते हुए अब तक 2500 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। इनमें से 186 अभी भी हिरासत में हैं। NIA द्वारा 80 ओवरग्राउंड वर्कर्स को भी पूछताछ के लिए पकड़ा गया है।
जांच के दौरान एक ‘आतंकी टूलकिट’ का भी पता चला है, जिसमें आतंकियों को दिए जाने वाले दिशा-निर्देश शामिल थे। इस टूलकिट में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के तरीके, पहनावा और व्यवहार को लेकर विशेष निर्देश थे। खासतौर पर यह कहा गया था कि आतंकवादी आम पर्यटकों की तरह दिखें और स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार खुद को ढालें।