लीजबैक फर्जीवाड़े में नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सचिव हरिश्चंद्र को सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर बर्खास्त कर दिया गया है। 10 साल पहले हुए इस घोटाले में कार्रवाई के बाद पुराने और घपलों में कार्रवाई की चर्चा शुरू हो गई है।
सूत्रों की मानें तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व में तैनात रहे 12 अधिकारियों पर की फाइलें शासन के पास हैं। इनमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अथॉरिटी में प्रमोशन के बाद अधिकारी बने कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। यह वो फाइलें हैं जो शासन स्तर से करवाई गई जांच या अथॉरिटी से जांच के बाद कार्रवाई के लिए शासन में भेजी गई। लेकिन शासन स्तर से अभी कार्रवाई नहीं हुई है। माना यह जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इन फाइलों पर भी कार्रवाई करवाकर भ्रष्ट्राचार के खिलाफ संदेश देगी।ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में भी लीजबैक घोटाला सामने आ चुका है।
2018 में तत्कालीन कमिश्नर प्रभात कुमार ने यमुना अथॉरिटी के सीईओ अरुणवीर सिंह की अगुवाई में कमिटी बनाकर जांच शुरू करवाई थी। इसमें 2192 लीजबैक की जांच हुई है। वर्ष 2011 की सैटलाइट इमेज से पता चला है कि 394 लीजबैक हुई जमीन पर निर्माण ही नहीं हुआ है। वहां जंगल था। इसके बावजूद उसे आबादी के नाम पर लीजबैक कर दिया गया। 1776 प्लॉट पर मामूली निर्माण है, जबकि मात्र दो प्लॉट पर ही पूरी तरह निर्माण हुआ मिला। इनमें 194 मामले पूर्व सीएम मायावती के पैत्रक गांव बादलपुर के हैं।
शुक्रवार को जिला प्रशासन की ओर से एसआईटी को सौंपी गई लाभार्थियों की सूची में 30 से 40 प्रतिशत बाहरी लोगों के नाम हैं। ये ग्रेनो वेस्ट, दादरी व ग्रेनो ईस्ट के 39 गांवों के मामले हैं। इनमें दिल्ली, महाराष्ट्र, नागपुर, बिहार, हरियाणा और पंजाब तक के लोग शामिल हैं। यह रिपोर्ट एसआईटी इसी वर्ष फरवरी में शासन को भेज चुकी है। इसमें ग्रेटर नोएडा के कई अधिकारी व कर्मचारियों का फंसना तय है