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Up: सपा के फैसले को पलटते हुए योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला......अब नए मदरसों को नहीं मिलेगा सरकारी अनुदान

योगी सरकार ने यह निर्णय प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार के कार्यकाल में हुए फैसले को पलटते हुए लिया है। सपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2003 तक की मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने का निर्णय हुआ था। उसके बाद 100 मदरसे अनुदान सूची पर ले भी लिए गए थे।

VIdyarthi Shivam
  • May 18 2022 9:43AM
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल खबर आ रही है कि समाजवादी पार्टी के फैसले को पलटते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि यूपी में अब नए मदरसों को सरकारी अनुदान नहीं मिलेगा। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में इस पर मुहर लगा दी है। बता दें कि इस समय 550 से अधिक मदरसों को अनुदान मिल रहा है। इस फैसले की खास बात यह है कि इसे अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकेगी क्योंकि योगी सरकार ने अखिलेश सरकार की नीति को समाप्त कर दिया है।

दरअसल, योगी सरकार ने यह निर्णय प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार के कार्यकाल में हुए फैसले को पलटते हुए लिया है। सपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2003 तक की मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने का निर्णय हुआ था। उसके बाद 100 मदरसे अनुदान सूची पर ले भी लिए गए थे।

बाकी बचे 46 मदरसों को अनुदान सूची पर लेने से पहले ही सरकार में अर्न्तकलह शुरू हो गई थी, उसके बाद यह 46 मदरसे अनुदान पर नहीं लिए जा सके। इनमें से कुछ मदरसों ने अदालत की शरण ले ली। इस वक्त प्रदेश के कुल 560 मदरसों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। अनुदान के तहत इन मदरसों के शिक्षकों, कर्मियों का भुगतान किया जाता है।

समाजवादी पार्टी सरकार के वक्त 146 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला हुआ था। 100 मदरसों को सूची में शामिल भी किया गया। लेकिन बाकी बचे 46 मदरसों में से कुछ ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस समय यूपी में 560 मदरसों को अनुदान मिल रहा है। इसके तहत शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों का वेतन और भत्ता शामिल है।

यूपी में मदरसों में अप्रैल के महीने में राष्ट्रगान का गायन अनिवार्य किया गया था। अनुदान प्राप्त या गैर अनुदानित मदरसों में शिक्षकों और छात्रों के लिए इसे अनिवार्य किया गया था इस समय प्रदेश में कुल मदरसों की संख्या 16 हजार से अधिक है,जिसमें 560 को अनुदान मिलता है। 146 नए मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया गया था। जिसे लेकर कुछ मदरसों ने आपत्ति भी जताई थी।  

सवाल यह है कि इसके राजनीतिक मायने क्या हैं। जानकारों का कहना है कि इस फैसले के जरिए योगी सरकार पर आरोप लगेगा कि वो सबका साथ सबका विकास का बात तो जरूर करती है लेकिन जमीन पर फैसले उसके एकदम उलट नजर आते हैं। लेकिन इस केस में अगर देखें तो जिन 146 मदरसों को अनुदान मिलना था उनमें से ही एक मदरसा संचालक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 

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