बीते 17 सितम्बर को केंद्र के तीन कृषि कानून अधिनियम लागू हुए थे, जिसके बाद ही देश में विरोध का सिलसिला शुरू हुआ था। दिल्ली से लेकर पंजाब, हरियाणा और देश के अन्य हिस्सों में भी इन किसानो ने पलायन कर-कर के विरोध प्रदर्शन किये। कई बार ये प्रदर्शन हिंसापूर्ण भी रहे, और देश के सामने ये सवाल भी खड़े हुए कि किसानो के वेश में आखिर ये लोग है कौन? इन्ही सवालों के बीच किसान नेता के रूप में 'राकेश टिकैत' को भी खूब "फुटेज" मिली, और उन्होंने अलग अलह जगह अपना आंदोलन जारी रखा।
इसी लिए केंद्र के तीन कृषि कानूनों के लागू होने के अधिनियम के एक साल पूरे होने पर शिरोमणि अकाली दल शुक्रवार (17 सितंबर) को दिल्ली में काला दिवस मनाएगा। पार्टी नेता और कार्यकर्ता कल कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज से पार्लियामेंट बिल्डिंग तक मार्च निकालेंगे। इस मार्च को 'ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च' नाम दिया गया है। मार्च में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी शमिल होंगी। अकाली दल के बुढलाडा हलका प्रधान निशान सिंह ने बताया कि 300 से ज्यादा कार्यकर्ता छह बसों व आठ कारों में सवार होकर आए थे।
आपको बता दे कि, कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की ओर से शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित प्रदर्शन में भाग लेने जा रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने झाड़ोदा बॉर्डर पर रोक दिया। इसके साथ ही पंजाब नंबर की सभी गाड़ियों को लौटा दिया गया। रोके जाने पर अकाली कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया, लेकिन सीआरपीएफ व दिल्ली पुलिस के जवानों ने उनकी नहीं सुनी। कुछ देर बाद बॉर्डर से कार्यकर्ता लौट गए।
आम आदमी पार्टी भी करेगी प्रदर्शन, मनाएगी 'काला दिन'
आप के विधायक कुलतार सिंह संधवान ने कहा कि देश भर में ‘काले कृषि कानून’ के खिलाफ किसानों में ‘रोष’ है। उन्होंने कहा कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। विधायक ने कहा कि 17 सितंबर, 2020 को संसद में तीन ‘काले’ कृषि विधेयक पारित हुए इसलिए 17 सितंबर को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा ।
क्या है कृषि कानूनों को लेकर विवाद
बीते साल जून में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून, 2020 से ही लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों का आंदोलन हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लगातार चल रहा है। वहीं सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने की बात कहते हुए 26 नवंबर, 2020 से देशभर के किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी लगातार दिन-रात धरना दे रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसानों के धरने को करीब 10 महीने हो गए हैं। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग अकाली दल समेत तमाम विपक्ष दल भी सरकार से कर रहे है।