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नकली खाद मिलावटी खाद और खाद की कालाबाजारी करने वाले माफियाओं के आगे बोना पड़ा समूचा शासन प्रशासन

मुख्यमंत्री गहलोत ने दिए थे अपने कृषि मंत्री को छबड़ा नकली मिलावटी खाद माफिया और खाद की कालाबाजारी करने वालों की जांच कर कार्यवाही के संदर्भ में जांच के आदेश।

Pankaj Trivedi
  • Dec 1 2021 12:22PM

नकली खाद मिलावटी खाद और खाद की कालाबाजारी करने वाले माफियाओं के आगे बोना पड़ा समूचा शासन प्रशासन और बोना पड़ा मुख्यमंत्री के द्वारा दिया गया कृषि मंत्री को खाद माफियाओं की जांच कर कार्रवाई का आदेश और बोना पड़ा समूचा किसान संघ और बोने पड़े विभिन्न संगठन। बोने पढ़े अपनी ही कांग्रेस सरकार के होते हुए पूर्व विधायक करण सिंह राठौड़ और नहीं होती कोई कार्यवाही। मुख्यमंत्री गहलोत ने दिए थे अपने कृषि मंत्री को छबड़ा नकली मिलावटी खाद माफिया और खाद की कालाबाजारी करने वालों की जांच कर कार्यवाही के संदर्भ में जांच के आदेश। जांच अधिकारियों द्वारा नहीं की गई अभी तक मिलावटी खाद माफियाओं के ऊपर कोई कार्यवाही डिजिटल प्रूफ होने के बावजूद सोशल मीडिया पर वीडियो और फोटोस वायरल होने के बावजूद भी नहीं होती कोई कार्यवाही । यही आपको यह भी बता दें कि स्थानीय सोशल मीडिया पर खाद की कालाबाजारी मैं बटे लिफाफे वाला मैसेज भी काफी चर्चा में रहा।

यही दूसरी ओर एक वार्ड पार्षद ने भी बिना नाम लिए आरोप लगाया कि कुछ लोगों के घर के खर्चे भी लिफाफे पर चल रहे हैं खाद प्रकरण को लेकर गोदी मीडिया पर भी सत्यता नहीं दिखाने का आरोप लगा आरोप लगाने वाले यह भी स्पष्ट करें कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं कौन दे रहा है और किसको दे रहा है।कहीं चांदी के सिक्कों की चमक चकाचौंध और ऊंचे रसूख की धमक के आगे नतमस्तक तो नहीं स्थानीय प्रशासन।आखिरकार जवाब तो देना होगा कौन है जिम्मेदार किसकी बनती है जिम्मेदारी क्यों नहीं होती कोई कार्यवाही जवाब दे गहलोत सरकार।जबकि अधिकारियों द्वारा क्लीन चिट पहले किसी और तारीख में दी जाती है। और जांच रिपोर्ट कोई और तारीख को दी जाती है यह भी एक गंभीर जांच का विषय है। क्या होगी इस प्रकार का कृत्य कर समाज शासन-प्रशासन व अन्नदाता को गुमराह करने वाले अधिकारियों के ऊपर कोई कार्यवाही हम आपको यह भी बता दें कि नकली खाद मिलावटी खाद की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हेतु स्थानीय प्रशासन को लेकर राजस्थान शासन तक को लगभग आधा दर्जन ज्ञापन किसान संघ और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और कई सरपंच व पूर्व प्रधान के द्वारा ज्ञापन दिए गए बावजूद इसके कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती।

अन्यदाताओं के हितों की दुहाई देने वाली राज्य सरकार क्या लगवा पाएगी अपने भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर कोई लगाम जवाब दे गहलोत सरकारराजनीतिक अपराधिक अधिकारिक आपसी सांठगांठ के चलते नहीं होती खाद माफियाओं के ऊपर कोई कार्यवाही।छबड़ा पूर्व विधायक करण सिंह राठौर ने भी कालाबाजारी करने वाले बाल श्रम अपराध करने वाले बोलो के खिलाफ कार्रवाई हेतु ज्ञापन धरना प्रदर्शन भी दिया गया अपनी पार्टी के सरकार होने के बावजूद करण सिंह राठौर भी नहीं करवा पाए इन माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई। विपक्ष भी है इस खाद प्रकरण को लेकर चुप क्योंकि एक आरोपी भी है छबड़ा भाजपा नगर अध्यक्ष के पिता रमेश चंद गेरा भी है गैरा फ़र्टिलाइज़र के मालिक। जिला बारां में एक नहीं दो पार्टियों के दो बड़े कद्दावर नेता है और दोनों को ही पूरा संभाग ही नहीं अभी तो पूरा राजस्थान देवदूत जैसे अलंकार से सम्मानित करता है और वास्तविकता दोनों ही पार्टी के दोनों नेताओं की अपनी प्रजा के प्रति जागरूक वह समर्पित भी है क्षेत्र में विकास भी जन भावनाओं से ज्यादा कराया पर क्या कारण है कि इन कालाबाजारी करने वाले खाद माफियाओं के ऊपर कार्रवाई को लेकर दोनों देवदूत चुप्पी क्यों साधे हुए हैं कब लोगे खबर मोरे राम ।

जाएं तो जाएं कहां कोई तो बताएं जहां गैर जमानती वारंट जैसा अपराध किया जाता है उसके बावजूद इसके राजस्थान की कांग्रेश गहलोत सरकार कुंभकरण की नींद सोऐ हुऐ है जाग रहे जाग सरकार अन्नदाता के हित में जाग क्योंकि यही अन्नदाता देश का भविष्य बनाते हैं और इन्हीं के द्वारा दिए हुए बोटो से एक पंच वार्ड मेंबर सरपंच चेयरमैन मंत्री मुख्यमंत्री के कुर्सी तक पहुंचाते हैं दिल्ली और जयपुर में आपका सम्मान बढ़ाते हैं इन्हीं के बोट की ताकत है और जनता और आपका आपसे विश्वास है फिर क्यों धरतीपुत्र परेशान है आखिरकार ऐसा क्या है कि कुछ कालाबाजारी करने वाले माफियाओं के ऊपर कार्यवाही हेतु आप चुप्पी साधे हुए हैं जबकि साक्ष्य सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ है और अधिकारियों की गुमराह कर देने वाली रिपोर्ट वह लीपापोती करने के बाद हमारी भावनाओं से क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है क्यों हमारे विश्वास को कमजोर किया जा रहा है क्या कुछ कालाबाजारी करने वाले माफिया इतना हावी हैं की क्षेत्र की किसान भाइयों की आवाज एक तरफ और खाद माफिया एक तरफ जनता में इस बात को लेकर चर्चा है आखिरकार अन्नदाता ही क्यों शोषित होता है चाहे वह अपनी जली हुई फसलों कम मुआवजा के लिए संघर्ष करता रहे मगर कोई सुनवाई नहीं होगी चाहे अन्नदाता नोटबंदी से लेकर कोरोना संकटकाल से जूझ रहे हो या अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि या कभी कम उपज का संघर्ष कर रहे इन छबड़ा क्षेत्र के अन्नदाता ओं के साथ कब न्याय होगा न्याय होगा भी के नहीं यह भविष्य के गर्भ में देखते हैं आगे क्या होता है हमारे देवदूतों कब लगवाया जाएगा भ्रष्ट अधिकारियों वह इन माफियाओं के ऊपर अंकुश।

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