यूपी पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरे उत्तर प्रदेश में शुरू हो गई है। कानपुर के बिकरू में विकास दुबे की दहशत का अंत हुआ तो ढाई दशक के बाद वहां भी लोकतंत्र का परचम लहरा रहा है। बिकरू के कैंडिडेट्स ने विकास के जमींदोज हो चुके मकान में बिना डरे चुनाव के पोस्टर भी लगाए हैं। पंचायत चुनाव को लेकर सुबह शाम गांव में चौपाल लग रही है. प्रत्याशी टोली बनाकर समर्थन मांगने घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। बीते 25 साल में बिकरू गांव में यह नजारा पहली बार देखने को मिल रहा है।
विकास दुबे बिकरू में दहशत कायम करने के बाद 1995 में प्रधान बना था और इसके बाद गांव में ऐसी दहशत फैली कि किसी ने आवाज उठाने की कोशिश नहीं किया। पंचायत चुनाव में अगर किसी ने हिस्सा लेने की भी कोशिश की तो उसे भी दबा दिया।
बिकरू की प्रधानी 25 साल तक विकास दुबे के हाथ में रही. 2 जुलाई 2020 की रात बिकरू में विकास ने डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई। वहीं 10 जुलाई को विकास दुबे को उज्जैन से लाते समय विकास की गाड़ी पलटने के बाद सचेंडी में भागने के प्रयास किया। जिसके बाद पुलिस ने उसे गोली मार दी।
वहीं बिकरू में इस बार प्रधानी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है तो निर्भिक होकर गांव से 11 उम्मीदवारों ने नामांकन पर्चा भरा है। लोकतंत्र की इस बदली हवा का नजारा बिकरू के लोगों में दिखाई दे रहा है। इस गांव में 25 साल से विकास के अलावा किसी के पोस्टर या फोटो नहीं थे पर 2021 के पंचायत चुनाव ने बहुत कुछ बदल दिया।