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Facebook के द्वारा की दोस्ती...फिर नम्बर माँगकर महिला से की डॉक्टर बनकर Whatsapp चैटिंग... ठगकर लिये साढ़े 7 लाख...पुलिस ने दिल्ली से पकड़ा 2 विदेशी नाइजीरियन आरोपियों को

फेसबुक में फर्जी आई डी बनाकर लिये थे महिला को झांसे में। फेसबुक एवं व्हाट्सएप के माध्यम से चेट कर धीरे-धीरे हासिल कर लिये थे महिला का विश्वास व मोबाईल नंबर।

योगेश मिश्रा, छत्तीसगढ़ ब्यूरो- 9329905333
  • Nov 16 2020 6:23PM
सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं से दोस्ती करने वाले और उनका नंबर लेकर उन्हें लालच देकर लाखों की ठगी करने वाले दो नाइजीरियन आरोपी को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये दोनों आरोपी पहले महिलाओं को फेसबुक के माध्यम से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते थे और उसके बाद व्हाट्सएप चैटिंग करके अपने ठगी का शिकार बनाते थे। लाखों रुपए की ठगी के बाद एक महिला जब पुलिस के पास पहुंची, तो पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से दोनों नाइजीरियन आरोपियों को दिल्ली के द्वारिका क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।


सुदर्शन न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक प्रार्थिया महिला ने थाना खमतराई में रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसके फेसबुक आई.डी. में क्लीन्टन मफ्री नामक व्यक्ति का फ्रैण्ड रिक्वेस्ट आया था जिस पर प्रार्थिया ने फ्रैण्ड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया एवं दोनों के मध्य एक सप्ताह तक फेसबुक में बातचीत होने के पश्चात् उक्त व्यक्ति ने प्रार्थिया का मोबाईल नंबर मांगा एवं दोनों के मध्य व्हाट्सएप के माध्यम से बात होने लगी। इसी दौरान उस अज्ञात व्यक्ति ने प्रार्थिया को बोला कि मैं एक डाॅक्टर हूं आपके चेहरे में जो दाग है उसे ठीक करवा दूंगा। मैं आपकी मदद के लिए कुछ गिफ्ट, पैसे और पार्सल भेज दूंगा। कुछ दिनों बाद उक्त व्यक्ति ने पार्सल भेजा एवं दो तीन दिन बाद प्रार्थिया के मोबाईल फोन पर एक व्यक्ति का फोन आया कि वह दिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से बोल रहा है जिसने बताया कि आपका पार्सल आया है एवं कस्टम क्लिियरेंस चार्ज 36,500 रूपये देना पड़ेगा और खाता नंबर भेजा, जिस पर प्रार्थिया ने उक्त खाता में 36,500 रूपये डाल दिया। प्रार्थिया के मोबाईल फोन पर पुनः फोन आया कि लाॅन्ड्रिग का 95,000 रूपये और भेजो फिर वह दूसरा खाता नंबर दिया जिस पर प्रार्थिया ने दो किष्तों में 95,000 रूपये दिये गये खाता नंबर में डाल दिया। रकम देने के दूसरे दिन प्रार्थिया के मोबाईल फोन पर फोन पर आया कि आपको 04 लाख रूपये और देना पडेगा एवं मोबाईल फोन के धारक ने खाता नंबर दिया, जिसमें प्रार्थिया ने अलग अलग किष्तों में रकम डाल दिया। उसके बाद प्रार्थिया के पास फोन आया कि 85,000 रूपये और देना पडेगा एवं खाता नंबर दिया गया जिसमें प्रार्थिया ने 85,000 रूपये डाल दिया। फिर उक्त व्यक्ति बोला कि आपकी मदद के लिए अपने दोस्त को बोलता हूं की वह आप को पैसा देगा फिर उसके दोस्त ने प्रार्थिया को फोन कर बोला कि आपके बैंक खाता में 30,000 रूपये पौण्ड भेजा हंू फिर एक व्यक्ति का फोन आया कि वह विदेषी मुद्रा प्रेषण से बोल रहा है आपको मनी रूपांतरण, इनकम टैक्स और खाता अपग्रेड के लिये और रूपये देने होंगे जिस पर प्रार्थिया ने अलग अलग किष्तों में कुल 1,88,300 रूपये दिये गये खाते में जमा कर दिया। इसके बाद भी उनके द्वारा प्रार्थिया से और रूपयों की मांग की जा रही थी जिस पर प्रार्थिया को स्वयं के साथ ठगी होने का अहसास हुआ। इस तरह प्रार्थिया ने आरोपी अज्ञात मोबाईल फोन के धारक द्वारा दिये गये अलग अलग बैंक खातों में अलग अलग किष्तों में कुल 7,53,860 रूपये जमा किया। जिस पर अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध थाना खमतराई में अपराध क्रमांक 545/20 धारा 420, 34 भादवि. 66 डी आई.टी.एक्ट का अपराध पंजीबद्ध किया गया। 





चूंकि अपराध महिला से संबंधित एवं गंभीर प्रवृत्ति का था जिसे पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव द्वारा गंभीरता से लेते हुये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर लखन पटले, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध अभिषेक माहेष्वरी, नगर पुलिस अधीक्षक उरला अक्षय कुमार (भा.पु.से.), प्रभारी सायबर सेल रमाकांत साहू एवं थाना प्रभारी खमतराई संजय पुढ़ीर को अज्ञात आरोपियों की पतासाजी कर गिरफ्तार करने हेतु आवष्यक दिषा निर्देष दिये गये। जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देषन में सायबर सेल एवं थाना खमतराई की एक संयुक्त टीम का गठन किया जाकर अज्ञात आरोपियों की पतासाजी प्रारंभ किया गया। रायपुर पुलिस द्वारा पूर्व में भी इसी तरह से ठगी करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की गई थी। 






टीम द्वारा इस तरह के तरीका वारदात के आधार पर अपराध घटित करने वाले नाइजीरियन गिरोह पर फोकस करते हुये कार्य प्रारंभ किया गया। आरोपियों एवं प्रार्थिया के मध्य फेसबुक के जिस आई.डी. व मैसेज तथा मोबाईल नंबरों के माध्यम से बातचीत हुई थी उक्त आई.डी. एवं मोबाईल नंबरों का तकनीकी विष्लेषण करने के साथ- साथ प्रार्थिया द्वारा बताये गये खाते, जिनमें प्रार्थिया द्वारा पैसे जमा किये गये थे के संबंध में भी बैंक से जानकारी प्राप्त की गई। आरोपियों के संबंध में तकनीकी विष्लेषण व बैंक खातों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर आरोपियों की लोकेषन चिन्ह्ांकित करने में सफलता प्राप्त हुई। प्राप्त लोकेषन के आधार पर टीम दिल्ली रवाना हुई। 




दिल्ली में क्या हुआ?
दिल्ली में पड़ताल प्रारंभ करने पर यह सुनिष्चित हुआ कि आरोपियों द्वारा बहुत ही सर्तकता से अपनी पहचान को छिपाते हुये इस तरह की ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया है। आरोपियों द्वारा उपयोग किये गये मोबाईल नंबर, फेसबुक आई डी व बैंक खातों के नाम व पते फर्जी थे तथा उन मोबाईल नंबरों एवं बैंक खातों का उपयोग सिर्फ और सिर्फ ठगी की वारदात को कारित करने के लिए किया गया था। दिल्ली में कैम्प कर रही टीम को तकनीकी विष्लेषण के आधार पर आरोपियों के थाना मोहन गार्डन क्षेत्र में निवास करने के संबंध में अहम सुराग प्राप्त हुआ। जिस पर टीम ने तत्काल बिना समय गंवाये आरोपियों के फ्लैट में रेड कार्यवाही कर नाइजीरियन नागरिक आरोपी किस्टाफर एवं इडुची को पकड़कर कड़ाई से पूछताछ करने पर आरोपियों द्वारा प्रार्थिया को अपने झांसे में लेकर प्रलोभन देकर पैसे लेने की बात स्वीकार किया गया। आरोपियों के कब्जे से अपराध से संबंधित 04 नग मोबाईल फोन, 03 नग ए.टी.एम. कार्ड एवं 05 नग पेटीएम कार्ड जप्त किया गया है। दोनों आरोपी मूलतः नाइजीरियन नागरिक है जो वर्तमान में दिल्ली के थाना मोहन गार्डन क्षेत्र में निवासरत थे, पूछताछ में आरोपियों द्वारा संपूर्ण भारत में सैकडों महिलाओं को अपने झांसे में लेकर प्रलोभन देकर लाखों रूपये लेना बताया गया है। आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमाण्ड पर रायपुर लाया गया है। दोनों विदेषी नाइजीरियन आरोपियों के पास विजा नहीं है जिस पर बिना विजा के भारत में निवास करने पर आरोपियों के विरूद्ध पृथक से थाना खमतराई में धारा 14 फाॅरेन एक्ट के तहत् भी अपराध पंजीबद्ध किया गया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके विरूद्ध अग्रिम कार्यवाही किया गया।         
            
वारदात का हाईटेक तरीका
आरोपियों द्वारा फर्जी फेस बुक आई डी बनाकर महिलाओं को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजकर दोस्त बनाया जाता है तथा धीरे - धीरे महिलाओं का विष्वास व भरोसा जीतकर कई तरह के लुभावने व प्रलोभन देकर अपने द्वारा दिये गये अलग - अलग बैंक खातों में पैसे प्राप्त कर ठगी करते है। आरोपी अपनी पहचान गोपनीय रखने के लिए एक अपराध के लिये उपयोग किये गये सिम व मोबाईल उस अपराध के बाद नष्ट कर देते थे एवं फेसबुक आई डी को भी डि-एक्टिवेट कर देते थे तथा इनके द्वारा दिये गये सभी बैंक खाते भी फर्जी होते है।    

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