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UP ही नहीं, पंजाब में भी कांग्रेस के विधायकों के बागी सुर

मुश्किल समय कांग्रेस पार्टी के लिए..

Sudarshan News
  • May 22 2020 8:57AM

मुश्किल समय मे चल रही कांग्रेस के लिए हर तरफ से बुरी खबर है. उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब से भी. पंजाब में कांग्रेस विधायकों ने सीएम के खिलाफ खोला मोर्चा। कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच पंजाब में सियासी वर्चस्व की जंग भी तेज हो गई है। पंजाब कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अब कांग्रेसी विधायक पद्मश्री परगट सिंह और विधायक फतेह जंग सिंह बाजवा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरने में जुट गए हैं।

कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को निशाने पर लेते हुए एक कमजोर मुख्यमंत्री बताया। उन्होंने कहा कि समझ से बाहर है कि पंजाब में सरकार कांग्रेस की है या मुख्य सचिव की. मंत्रियों और चीफ़ सेक्रेटरी के बीच हुए विवाद के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल विधायकों की बैठक बुलानी चाहिए थी और साफ करना चाहिए था कि जिन मुद्दों को लेकर हमने सरकार बनाई थी वह क्यों पूरे नहीं हुए।  परगट सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार के तीन साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

डेढ़ साल बाद चुनाव में जनता को इसका जवाब नेताओं को देना होगा, अफसरों को नहीं। हालात ये हैं कि जिस तरह दस साल अकाली-बीजेपी गठबंधन की सरकार चल रही थी, उसी तरह ही यह सरकार चल रही है। इन दोनों की कारगुजारी में ज्यादा फर्क नहीं है। कादियां से कांग्रेस विधायक फतेह जंग सिंह बाजवा ने ट्वीट करते हुए कहा कि सीएम को कुछ ब्‍यूरोक्रेट्स ने 'बंधक' बना रखा है। इसे तीन और कांग्रेस विधायकों ने रिट्वीट भी किया। बाजवा ने लिखा था, 'क्‍या हमारे माननीय सीएम को कुछ ब्‍यूरोक्रेट्स ने सच में और अतिशयोक्ति में, बंधक बना लिया है?' एक और विधायक डॉ. हरजोत कमल ने इसे कोट करते हुए लिखा, 'प्रिय सीएम सर, शायद ये गलतफहमियां ही हों, उन्‍हें फौरन और प्रभावी ढंग से सुलझाना जरूरी है।'

दरअसल, पिछले दिनों कांग्रेस के दर्जन भर से ज्‍यादा विधायकों ने ट्वीट कर चीफ सेक्रेटरी करन अवतार सिंह को हटाने की मांग की थी। इसके बाद, सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंत्रियों-विधायकों से बात कर उन्‍हें शांत कराने की कोशिश की थी, लेकिन एक बार फिर से कांग्रेस विधायकों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी इस मामले में कूद पड़े हैं।

सिद्धू ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया है। इसमें वो कहते हैं कि 'एक ब्‍यूरोक्रेट हाथ की तीसरी उंगली की तरह होता है। अगर वो उंगली कट जाए तो हाथ बेकार हो जाता है।' उन्‍होंने कहा कि 'प्रभावी गर्वनेंस के लिए, सरकार चलाने के लिए पूरी मशीनरी का परफेक्‍ट मिक्‍स होना चाहिए। सिद्धू ने कहा कि स्‍वार्थ के चक्‍कर में सरकारी मशीनरी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। सिद्धू ने इसे नया सियासी मोड़ दे दिया है। परगट सिंह सहित फतेह सिंह बाजवा और हरजोत कमल के विरोधी तेवर कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए यकीनन बड़ी चुनौती है। साफ है कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। ऐसे में परगट सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को अन्य कांग्रेसी विधायकों और मंत्रियों का खुला समर्थन मिला तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।

जबकि पंजाब के बाद उधर उत्तर प्रदेश में भी गरमाई बसों की राजनीति में कांग्रेस की अपने ही विधायिका ने पार्टी पर उठाये सवाल! आपने अक्सर ये कहावत सुनी होगी "घर का भेदी लंका ढाऐ"। अपनी डूबती सियासत को दिन रात बचाने की कोशिश कर रही कांग्रेस पार्टी के अपने ही कुछ लोगों ने इस कहावत को सच साबित करने का मानों जैसे ढेका ले लिया हो। कांग्रेस पार्टी की हालत तूफान में फंसे उस जहाज़ की तरह हैं जिसमें हर तरफ से छेद ही छेद हो बिचारे इक्के दूक्के छेद बंद कर कर भी दे तो भी खुद को बचाने में असफल ही रहते हैं।

ऐसा ही कुछ हाल में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के साथ हो रहा है एक तरफ जहां कांग्रेस कोरोना संकट के बीच अपनी राजनीतिक साख़ बचाने और अपनी चिर परिचित गरीबों की राजनीति से अपने उभरने का रास्ता खोजने में लगी है तो वही दूसरी ओर उनकी खुद की रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने उनकी इन कोशिशों को नाकाम करने का जैसे मन बना लिया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा के बस मुहैया कराने के प्रस्ताव से शुरू हुई सियासत में अब रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह भी कूद पड़ीं हैं। जिसके बाद इस पहले से गरमाये मुद्दे ने जैसे अब आग पकड़ ली है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के सदर क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि कोरोना आपदा के वक्त कांग्रेस पार्टी को ऐसी निम्न सियासत करने की क्या जरूरत थी।

कांग्रेस विधायिका अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी को घेरते हुए सवालों के घेरे में ला खडा़ किया हैं। अदिति ने ट्वीट कर कांग्रेस से सवाल किया कि राजस्थान के कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब ये तथाकथित बसें कहां थीं। इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी की हैं।

उन्होंने साथ ही एक तरह से कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा की कांग्रेस पार्टी फर्जी सूची देकर और राजनीतिक दबाव बनाकर सरकार के अधिकारियों का समय बर्बाद कर रही है कांग्रेस विधायक अदिति सिंह यही नहीं रूकी उन्होंने आगे भी ट्वीट कर कहा कि, "कोटा में जब UP के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं। ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बार्डर तक ना छोड़ पाई, तब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया। खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी"।

कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के एक बयान ने भूचाल ला दिया है। बसों के मामले में अपनी ही पार्टी को घेरते हुए उस पर तंज कसते हुए  इसे क्रूर मजाक करार दिया है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ। पहले भी कई बार अदिति अपनी पार्टी और नेताओं के खिलाफ खड़ी नजर आ चुकी हैं । जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाऐ जाने को लेकर भी विधायक अपने अलग तेवर दिखा चुकी है तब भी पार्टी विरोधी प्रतिक्रिया देने पर विधायक अदिति सिंह को नोटिस दिया गया था। उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को तीन बार लिखा जा चुका है।

अदिति को उनके पूर्व के ऐसे ही बयानों के कारण ही महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटा दिया गया था। अब ऐसे में देखना ये है की अपनी विरोधी पार्टियों से लड़ने के साथ कांग्रेस अपने अंदरूनी और आपसी टकरावों को कैसे संभालती है? अपने ही विधायकों की ऐसी प्रतिक्रियाओं के बाद आखिर कैसे और कबतक अपनी राजनीतिक साख़ को बचाये रखने में सफल होगी कांग्रेस?

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